हेट स्पीच मामले में आजम खान को 3 साल की जेल, जाएगी विधायकी? जानिए क्या कहता है कानून
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हेट स्पीच मामले में आजम खान को 3 साल की जेल, जाएगी विधायकी? जानिए क्या कहता है कानून

10 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि अगर कोई एमपी, एमएलए और एमएलसी किसी आपराधिक मामले में दोषी पाए जाते हैं और उन्हें न्यूनतम 2 साल की जेल होती है.

हेट स्पीच मामले में आजम खान को 3 साल की जेल, जाएगी विधायकी? जानिए क्या कहता है कानून

नई दिल्लीः रामपुर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने हेट स्पीच के मामले में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान को दोषी मानते हुए 3 साल जेल की सजा सुनाई है. आजम खान ने साल 2019 में सीएम योगी आदित्यनाथ और रामपुर के तत्कालीन डीएम आंजनेय कुमार सिंह के खिलाफ विवादित बयानबाजी की थी. अब एमपी एमएलए कोर्ट ने आजम खान को 3 साल की सजा के साथ ही 6 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. हालांकि आजम खान को इस मामले में तुरंत जमानत मिल गई लेकिन 3 साल की सजा होने के बाद अब आजम खान की विधायकी भी जा सकती है.

आजम खान की जाएगी विधायकी?
 10 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि अगर कोई एमपी, एमएलए और एमएलसी किसी आपराधिक मामले में दोषी पाए जाते हैं और उन्हें न्यूनतम 2 साल की जेल होती है तो तत्काल प्रभाव से उनकी सदन की सदस्यता चली जाएगी.ऐसे में अगर ऊपरी अदालत भी एमपी एमएलए की अदालत के फैसले को  सही ठहराते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक आजम खान की विधायकी भी चली जाएगी. 

जानिए क्या है हेट स्पीच पर कानून?
आजम खान के खिलाफ हेट स्पीच के मामले में आईपीसी की धारा 153-ए (दुश्मनी को बढ़ावा देने), 505-1 (सार्वजनिक बुराई) और रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट 1951 की धारा 125 के तहत मामला दर्ज किया गया था. देश में हेट स्पीच के खिलाफ कोई विशेष कानून नहीं है और आईपीसी और रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 के तहत ही मामला दर्ज किया जाता है. 

हेट स्पीच के मामले में भारत में अभी कानून की स्थिति विरोधाभासी है. ऐसे में 2013 में सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल भी दाखिल की गई थी, जिसमें हेट स्पीच के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था. साल 2014 में भी एक याचिका दाखिल कर इलेक्शन कमीशन को हेट स्पीच के खिलाफ दिशा निर्देश तैयार करने की मांग की गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार पर रोक नहीं लगा सकते हैं.  

 

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