Chamatkari Hanuman Mandir: भारत का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में घूमने की हजार जगहें मौजूद है. यहां ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ कईं चमत्कारिक धार्मिक स्थल भी है. इंदौर, उज्जैन, भोपाल कई प्रसिद्ध शहर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते है.
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Chamatkari Hanuman Mandir: भारत का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में घूमने की हजार जगहें मौजूद है. यहां ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ कईं चमत्कारिक धार्मिक स्थल (Chamatkari Mandir) भी है. इंदौर, उज्जैन, भोपाल कई प्रसिद्ध शहर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते है. वहीं धार्मिक स्थानों के नाम से मशहूर शाजापुर (Shajapur) में हनुमान जी एक चमत्कारी मंदिर (Hanuman Mandir) मौजूद है. यहां दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.
बता दें कि शाजापुर में बोलाई हनुमान (Bolai Hanuman mandir) के नाम से पहचाने जाने वाला यह तीर्थ स्थल धार्मिक आस्था का केंद्र है. यहां लोग अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. इस मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा की बाईं तरफ भगवान गणेश जी प्रतिमा विराजमान हैं. इस मंदिर से कई सारी मान्यताएं और कथाएं जुड़ी हुई है. आज हम आपको उसी के बारे में जानकारी बताने वाले हैं..
भविष्य बताते हैं हनुमान जी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थानीय लोगों का कहना हैं कि यहां जो भी आता है, उसके भविष्य में उसके साथ क्या घटेगा, पहले ही उसका पूर्वाभाष हो जाता है. कहते हैं कि मंदिर में विराजमान हनुमानजी भक्तों को उनका अच्छा या बुरा भविष्य बता देते हैं. जिसके चलते उनके भक्त सतर्क हो जाते हैं. कई लोगों ने तो दावा भी किया है कि उन्हें भविष्य का अहसास हुआ है.
ट्रेन की स्पीड होती है कम
बता दें कि हनुमान मंदिर रतलाम-भोपाल रेलवे ट्रैक के बीच बोलाई स्टेशन से करीब 1 किमी दूर है. कहा जाता है कि इस मंदिर के सामने से निकलने वाली ट्रेन की स्पीड कम हो जाती है. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि सालों पहले रेलवे ट्रैक पर दो मालगाड़ी आपस में टकरा गई थी. बाद में दोनों गाड़ी के लोको पायलट ने बताया था कि उन्हें इस हादसे का आभास पहले हो गया था. लेकिन रफ्तार कम नहीं की और टक्कर हो गई. तब से यहां से गुजरने वाली ट्रेन की स्पीड कम हो गई. अगर कोई ड्राइवर ट्रेन की स्पीड कम नहीं करता तो ट्रेन अपने आप स्लो हो जाती है.
300 साल पुराना है ये मंदिर
कहा जाता है कि ये मंदिर 300 साल पुराना है. इसका निर्माण देवी सिंह नामक व्यक्ति ने करवाया था. यहां हनुमानजी भगवान गणेश जी के साथ विराजमान हैं. यहां 1959 में कमल नारायण त्यागी ने अपने व्यस्त जीवन को त्याग कर तपोभूमि बनाया औऱ 24 साल की कड़ी तपस्या के बाद उन्होंने सिद्धियां हासिल कर ली. ये बहुत ही सिद्ध मंदिर माना जाता है. यहां जो भी मनोकमान मांगते हैं, वो पूरी होती है.