छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में एक ऐसा गांव है, जहां पूरा गांव दिन में खेतों में काम करता है और रात को कड़कड़ाती ठंड में मनरेगा की मजदूरी करता है. इससे ग्रामीण आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं.
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चम्पेश जोशी/कोंडागांवः अभी तक आप मार्निंग वॉक के लिए गए होंगे या लोगों को जाते हुए देखे होंगे. लेकिन छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में एक ऐसा गांव है, जहां ग्रामीण मार्निंग वॉक की जगह मॉर्निक वर्क पर निकलते हैं. यहां ग्रामीणों में मनरेगा के प्रति आई जागरुकता के कारण वहां फ्लड लाइट लगा कर कड़कड़ाती ठंड में 3 बजे मनरेगा मजदूरी करते हैं. बता दें कि मनरेगा मजदूर दिन में खेतों में काम और रात को मनरेगा का कार्य कर रहे हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से सक्षम हो रहे हैं. इन मजदूरों की मदद काम-प्रशासन कर रहा है.
रात में मजदूरी के लिए निकलते हैं ग्रामीण
दरअसल हर हाथ को काम चाहिए, इसलिए सरकार मनरेगा के तहत लेागों को कार्य दे रही है. मगर अब तक हमने ऐसे कामों को दिन के उजाले में लोगों को करते देखा है. ऐसा पहली बार नजर आया कि पूरा गांव रात में मनरेगा का कार्य करने जिसमें महिलायें, पुरूष, बुर्जुग पहुंचकर सुबह तक काम करते हैं. जब पूरा शहर गहरी नीदं में होता है तो यंहा के ग्रामीण बड़े बुर्जग, महिलायें सभी हाथों में फावड़ा तगाड़ी लिए मजदुरी करने निकलते हैं.
कार्यस्थल पर लाइट की व्यवस्था
बता दें कि ये पूरा नजारा जनपद पंचायत फरसगांव के ग्राम पंचायत भूमका का है, जहां ग्रामीण मजदूर सुबह 3 बजे काम पर जाते हैं. कार्यस्थल पर उनकी आधारभूत जरूरतों को ध्यान रखते हुए ग्राम पंचायत के सरपंच के द्वारा मनरेगा कार्य स्थल पर लाइट की भी व्यवस्था करवाई गई है, जिससे मजदूरों को काम करने में आसानी हो, यही नहीं स्वास्थय विभाग की ओर से यहां पर मितानीन दवाओं के साथ मौजुद रहती है.
जानिए क्या कहा कलेक्टर ने
कोंडागांव कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि कुछ समय पहले सूचना मिली थी कि इस गांव में ग्रामीण 3 बजे रात से ही मनरेगा के तहत तालाब की खुदाई करने पहुंच रहे हैं, जो अपने मोबाइल की रोशनी या टार्च जलाकर मनरेगा के कार्य कर रहे हैं. इसके लिए प्रशासन ने यहां पर लाईटिगं की व्यवस्था करवाई है. लोगों का कहना है कि वे दिन में अपने खेतों पर काम करते हैं, अभी वक्त धान बेचने का भी है तो अपनी फसल बेचने जाना होता है और ये लोग रात को जल्द सो जाते है और सुबह 3 बजे से सरकारी कामों पर लग जाते है.
आर्थिक रूप से हो रहे मजबूत
मजदूरों की मानें तो मजदूरी भुगतान एवं अन्य जागरूकता की कमी के लिए कुछ समय पहले इस ग्राम पंचायत में मनरेगा के काम से ग्रामीणों दूर भागते थे. मगर ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं. अब ग्रामीण मनरेगा को अपनी पहली प्राथमिकता देते हुए आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं.
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