Bilaspur News: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मंगलवार को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत प्रदेश के निजी स्कूलों में एडमिशन को लेकर जानकारी मांगी है. साथ ही EWS वर्ग की सीट कम को लेकर भी सुनवाई की.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी RTE के तहत EWS और BPL वर्ग के बच्चों के एडमिशन में धांधली को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इसके अलावा राज्य सरकार के नए नियम से घटीं RTE की सीटों को लेकर भी सुनवाई हुई. मंगलवार को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए प्राइवेट स्कूलों से दो सप्ताह में जानकारी मांगी है.
प्राइवेट स्कूलों से मांगी जानकारी
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत एक मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों से दो सप्ताह में जानकारी मांगी है. इसमें प्रत्येक निजी स्कूल को यह जानकारी देनी होगी कि RTE के तहत आरक्षित 25% सीटों पर पिछले सालों में कितने बच्चों को एडमिशन दिया गया है और कितनी सीट खाली हैं. इसके साथ ही खाली सीटों को ओपन आधार पर भरा गया तो उसके लिए क्या नियम अपनाए गए इसकी जानकारी भी देनी होगी. इस संबंध में कोर्ट ने शासन से भी ढांचा पेश करने के लिए कहा है. इसके साथ ही EWS और BPL कार्डधारियों की सीटों मामले में भी सुनवाई हुई.
दो सप्ताह में पेश करें रिपोर्ट
यह मामला 2012 से कोर्ट में चल रहा है. साल 2016 में हाई कोर्ट ने विस्तार से इस बारे में निर्देश जारी किया था लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने उसे ठीक से लागू नहीं किया. इसी शिकायत को लेकर एडवोकेट देवर्षि ठाकुर ने फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस आवेदन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है.
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पढ़ाई से रोका नहीं जा सकता
इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि 6 से 14 आयु समूह के बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा बच्चों का अधिकार है. आर्थिक एवं सामाजिक आधार पर बच्चों को पढ़ाई से रोका नहीं जा सकता है.याचिका में बताया गया कि प्राइवेट स्कूलों में पहली कक्षा के नामांकन में 25% सीटों पर गरीब छात्रों का मुफ्त में नामांकन लेना और निशुल्क पढ़ाई कराना है, लेकिन प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों के नामांकन में संचालकों की मनमानी जारी है.
EWS की सीट हुई कम
इसके अलावा कोर्ट ने मंगलवार को RTE के तहत EWS और BPL कोट की सीट कम होने के मामले पर भी सुनवाई की. इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा गया कि राज्य सरकार ने EWS वर्ग का कोटा कम कर दिया है. जबकि यह केंद्र का मामला है. ये राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. राज्य सरकार ने 2007 की सूची के आधार पर EWS वर्ग कोटे को BPL कोटे में बदल दिया है, जो कि गलत है. याचिका में यह भी कहा गया कि केंद्र का नियम है कि EWS कोटे के तहत वह माता-पिता प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को दाखिला दिला सकते हैं, जिनकी सालाना आय 2.5 लाख तक सीमित होती है जबकि राज्य सरकार ने इसे 40 हजार रुपए कर दिया है. इससे बहुत से पात्र लोग बाहर हो गए हैं. इस मामले में अगली सुनवाई 12 जून को होगी.
इनपुट- बिलासपुर से शैलेंद्र सिंह ठाकुर की रिपोर्ट, ZEE मीडिया
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