यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने कहा कि रामचरितमानस एक पवित्र ग्रंथ, इसका अपमान करने वालों के खिलाफ हो कार्रवाई
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यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने कहा कि रामचरितमानस एक पवित्र ग्रंथ, इसका अपमान करने वालों के खिलाफ हो कार्रवाई

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके अन्य समर्थकों के द्वारा रामचरितमानस की प्रतियां जलाने व हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ का अपमान करने यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने मोर्चा निकाला.

यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने कहा कि रामचरितमानस एक पवित्र ग्रंथ, इसका अपमान करने वालों के खिलाफ हो कार्रवाई

राजकुमार भाटी/नई दिल्ली: यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने व हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ का अपमान करने के विरोध में शाहदरा में विशाल मशाल जुलूस निकाला. साथ ही समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके अन्य समर्थकों को राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने की जोरदार मांग की.

फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं राष्ट्रवादी शिव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने इस अवसर पर कहा कि हिंदुओं के श्रेष्ठतम धार्मिक ग्रंथ का अपमान एक सोची समझी साजिश है. इसके तहत हिंदुओं को जात-पात में बांटने के घिनौने उद्देश्य को लेकर किया गया है. वहीं उन्होंने कहा कि वास्तव में देश-विदेश में बढ़ रहे हिंदुत्व और हिंदुस्तान के सम्मान से परेशान लोगों की यह अंतरराष्ट्रीय साजिश है.

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गोयल ने कहा कि 500 साल पुराना महाकाव्य वर्तमान में देश अथवा समाज को नहीं चला रहा. देश संविधान से चल रहा है. रामचरितमानस पवित्र ग्रंथ है जो घर-घर में श्रद्धा पूर्वक पढ़ा और सुना जाता है ताकि परस्पर प्यार और सौहार्द बढ़े. महाकाव्य एक काव्य ही नहीं सनातन धर्मावलंबियों द्वारा भगवान राम के रूप में आराध्य कथा है, जिसमें मानवता की सजीव कल्पना, उदारता, क्षमा, त्याग, धैर्य और सहनशीलता के गुण अपनी पराकाष्ठा के साथ मिलते हैं. ऐसा पवित्र ग्रंथ जो आदर्श समाज व शासन का स्पष्ट संदेश देता हो का अपमान प्रत्येक हिंदू का अपमान है.

जय भगवान गोयल ने कहा की तुलसीदास ने उस काल के संदर्भ में जो लिखा उसे तोड़ मरोड़ कर आज के परिपेक्ष से तुलना करना उचित नहीं माना जा सकता. स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके समर्थक एक साजिश के अधीन ही चौपाइयों का अलग और गलत अर्थ प्रस्तुत कर रहे हैं. ताड़न का अर्थ शिक्षित करना है यानी तुलसीदास ने ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और स्त्री को शिक्षा के अधिकारी होना बताया है. उन्होंने कहा कि तुलसीदास का अभिप्राय जो भी रहा हो मगर आज के संदर्भ में इसे अनावश्यक विवादकारी बनाना वोटों की राजनीति से अधिक कुछ नहीं है. ऐसे लोग देश में दंगे भड़का कर राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं. उन्हें देश और देश की एकजुटता से कोई लेना-देना नहीं है.