0 सितंबर से शुरू होने जा रहे पित पृक्ष 25 सितंबर, 2022 को सर्व पितृ अमावस्या को समाप्त होंगे. पितृ पक्ष में पितरों को जल देना विशेष माना गया है, इसमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, तो चलिए जानें-
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Pitru Paksha 2022 Date: पित पृक्ष इस बार 10 सितंबर से शुरू होने जा रहा है और 25 सितंबर, 2022 को सर्व पितृ अमावस्या को समाप्त होंगे. कहते हैं इस दौरान पूर्वजों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान किया जाता है. पितृ पक्ष में पितरों को जल देना विशेष माना गया है, इसमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, तो चलिए जानें-
पितरों को जल देते वक्त ध्यान रखें ये मंत्र?
कहते हैं कि पितरों को जल अर्पित करते वक्त ध्यान करें और वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों. इसके जल दें. इसी के साथ अपने गोत्र का नाम जपतें हुए बोलें, गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः. इस मंत्र के साथ से पिता को 3 बार जल अर्पित करें.
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कैसे करें जल अर्पित?
ज्योतिष के अनुसार, श्राद्ध करते वक्त पितरों का तर्पण किया जाता है. इसका मतलब पिंडों पर अंगूठे से जल अर्पित किया जाता है. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हथेली के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है. अर्पित को सुबह 11:30 से लेकर 12:30 के बीच जल अर्पित करना शुभ माना जाता है. पितरों को जल चढ़ाते समय कांसे का लोटा या तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें.
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घर के ये सदस्य पितरों को दे सकते है जल
ज्योतिष के अनुसार, पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त माता और वे सभी बुजुर्ग भी शामिल होते हैं, पितृपक्ष में मन कर्म और वाणी से संयम रखना चाहिए. इसी के साथ तर्पण की सामग्री लेकर दक्षिण की तरफ मुंह करके बैठे. इसके बाद हाथों में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें और जल को ग्रहण करने की प्रार्थना करें. इसके बाद जल को पृथ्वी पर 5-7 या 11 बार अंजलि से गिराएं.