सोमवार सुबह (27 जनवरी 2025) दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 264 दर्ज किया गया, जो 'खराब' श्रेणी में आता है. विशेषज्ञों के अनुसार यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है. AQI के इस स्तर का मतलब है कि एक व्यक्ति हर दिन सांस के जरिए करीब साढ़े तीन सिगरेट के धुएं के बराबर प्रदूषक तत्व अंदर ले रहा है. यह फेफड़ों और हृदय से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है.
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. स्वस्थ लोग भी लंबे समय तक ऐसे माहौल में रहने से बीमार हो सकते हैं. साथ ही 0-50 के बीच AQI को 'अच्छा' और 51-100 को 'सामान्य' माना जाता है. 101-200 'खराब,' 201-300 'बहुत खराब', 301-400 'गंभीर' और 401-500 को 'खतरनाक' श्रेणी में रखा जाता है.
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की मुख्य वजहें हैं. वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों से उड़ी धूल, औद्योगिक उत्सर्जन और पराली जलाने से उत्पन्न धुआं. सर्दियों में कोहरे और प्रदूषक तत्वों के मिश्रण से हवा जहरीली हो जाती है. धीमी हवा और नमी प्रदूषण को और बढ़ाने में मदद करते हैं.
दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे प्रदूषक तत्व सांस लेने की प्रक्रिया को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं, जो फेफड़ों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. विशेषज्ञों ने लोगों को ज्यादा देर तक बाहर रहने से बचने और मास्क का उपयोग करने की सलाह दी है. विशेष रूप से बच्चे और बुजुर्गों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.
वायु प्रदूषण को कम करना दिल्ली सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है. प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन उनका असर अभी तक सीमित रहा है. यदि स्थिति नहीं सुधरी तो दिल्ली में स्वास्थ्य आपातकाल जैसे हालात बन सकते हैं. प्रदूषण नियंत्रण के लिए लोगों और सरकार दोनों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे.