Bhagat Singh Birth Anniversary: आजादी के 77 साल बाद भी भगत सिंह का नारा 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है' रग-रग में देशभक्ति और जुनून भर देता है. महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह आज भी स्वतंत्र भारत में युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करते हैं. 28 सितंबर 1907 को ब्रिटिश भारत के पंजाब के बंगा में एक सिख परिवार में जन्मे भगत सिंह में देशभक्ति की भावना थी. उनकी जयंती पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है.
Bhagat Singh Biography: 28 सितंबर 1907 को ब्रिटिश भारत के पंजाब के बंगा में एक सिख परिवार में जन्मे भगत सिंह में देशभक्ति की भावना थी. क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह आज भी स्वतंत्र भारत में युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करते हैं.
Bhagat Singh Death Anniversary: उग्र उत्साह और स्वतंत्रता की गहरी लालसा से भरपूर, भगत सिंह ने अपना जीवन ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए समर्पित कर दिया. 23 मार्च 1931 को 23 साल की छोटी उम्र में उन्हें लाहौर षड्यंत्र मामले में ब्रिटिश सरकार ने मौत की सजा सुनाई थी.
Bhagat Singh Story: 12 साल की उम्र में भगत सिंह ने जलियांवाला बाग हत्याकांड देखा था, जिसके बाद उन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने का प्रण लिया.
Bhagat Singh Freedom Struggle: भगत सिंह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे. एक बार, भगत सिंह के पिता किशन सिंह को उनकी रिहाई के लिए 60000 रुपये की भारी रकम चुकानी पड़ी. क्योंकि देश के प्रति उनका प्रेम उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता थी, भगत सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए घर से भाग गए.
Bhagat Singh Freedom Fighter: लाला लाजपत राय की क्रूर पिटाई और मृत्यु को देखने के बाद भगत सिंह और उनके साथी क्रांतिकारियों ने बदला लेने की ठानी. भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने लाला की मौत के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारी जॉन पी. सॉन्डर्स (जिसे गलती से जेम्स ए. स्कॉट समझ लिया गया था) को निशाना बनाया.
Shaheed Bhagat Singh: तीनों क्रांतिकारियों को 24 मार्च को उनके मुकदमे से पहले ही 23 मार्च 1931 को गुप्त रूप से फांसी दे दी गई. उनकी मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और लोगों के दिलों में एक गहरा खालीपन छोड़ दिया. उनका बलिदान और लचीलापन विभिन्न उम्र के लोगों को प्रेरित करता रहता है.