Delhi Chunav 2025: बीजेपी के गढ़ रहे करावल नगर में क्या AAP फिर से लगा पाएगी सेंध या कपिल बिगाड़ेंगे खेल?
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Delhi Chunav 2025: बीजेपी के गढ़ रहे करावल नगर में क्या AAP फिर से लगा पाएगी सेंध या कपिल बिगाड़ेंगे खेल?

Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: करावल नगर केवल एक विधानसभा सीट नहीं, बल्कि दिल्ली की राजनीतिक दिशा और दशा तय करने वाला क्षेत्र है. यहां का हर चुनाव इतिहास रचता है और भविष्य की राजनीति को प्रभावित करता है. 2025 का चुनाव केवल एक मुकाबला नहीं, बल्कि जनता की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब होगा.

Delhi Chunav 2025: बीजेपी के गढ़ रहे करावल नगर में क्या AAP फिर से लगा पाएगी सेंध या कपिल बिगाड़ेंगे खेल?

Delhi Elections 2025: दिल्ली की राजनीति में करावल नगर विधानसभा सीट का खास महत्व है. यह सीट न केवल इतिहास और संस्कृति से जुड़ी है, बल्कि राजनीतिक दांव-पेंच का भी गढ़ रही है. उत्तर-पूर्व दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट जिले में स्थित यह क्षेत्र 1993 में विधानसभा सीट के रूप में स्थापित हुआ. यह सीट राजनीतिक रूप से इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां की जनता का मिजाज दिल्ली की राजनीतिक दिशा तय करने में बड़ा योगदान देता है. करावल नगर का इतिहास 1993 के पहले विधानसभा चुनाव से शुरू होता है, जब इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार कृष्ण तीरथ ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने लगातार पांच चुनावों में अपना दबदबा कायम रखा. इस दौरान मोहन सिंह बिष्ट भाजपा के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे, जिन्होंने इस सीट को अपनी मजबूत पकड़ से भाजपा का गढ़ बना दिया. 

AAP और BJP की सीधी टक्कर
2020 का चुनाव करावल नगर में राजनीतिक पटल पर बड़ा बदलाव लेकर आया. भाजपा के दिग्गज नेता मोहन सिंह बिष्ट ने एक बार फिर अपनी पार्टी के लिए जीत दर्ज की. उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) के दुर्गेश पाठक को 8,223 वोटों के अंतर से हराया. इस चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 50.59% रहा, जबकि आप को 46.29% वोट मिले. कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक साबित हुआ, क्योंकि उनके उम्मीदवार अरबिंद सिंह केवल 2,242 वोट ही हासिल कर सके. साथ ही इस सीट पर कुल मतदान 50.59% हुआ, जो यह दिखाता है कि जनता ने बड़ी संख्या में अपनी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित की. हालांकि, 2015 के चुनाव में तस्वीर अलग थी। उस समय आप के कपिल मिश्रा ने भाजपा को हराकर 59.85% वोट शेयर के साथ बड़ी जीत दर्ज की थी.

करावल नगर में क्या है नया सियासी अध्याय
2025 का चुनाव करावल नगर के लिए नया सियासी अध्याय साबित हो सकता है. भाजपा से कपिल मिश्रा, आप से मनोज त्यागी और कांग्रेस से पी.के. मिश्रा मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं. तीनों पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में जोरदार प्रचार शुरू कर दिया है. भाजपा, जो यहां का पारंपरिक गढ़ रही है, एक बार फिर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है. पार्टी ने कपिल मिश्रा को टिकट दिया है, जो पहले आप के साथ जुड़े थे लेकिन अब भाजपा का अहम हिस्सा हैं. दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने इस बार मनोज त्यागी को मैदान में उतारा है, जो स्थानीय मुद्दों और विकास के एजेंडे को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. कांग्रेस भी नए सिरे से अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश में जुटी है.

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करावल नगर है एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
करावल नगर केवल राजनीति के लिए नहीं, बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है. मुगल काल के दौरान यह क्षेत्र एक छोटा सा गांव हुआ करता था. आज यह क्षेत्र आधुनिक दिल्ली का एक विकसित और समृद्ध हिस्सा बन चुका है. शहीद भगत सिंह कॉलोनी इस इलाके की पहचान है, जो देशभक्ति और त्याग का प्रतीक मानी जाती है. इस क्षेत्र की एक और खासियत यहां के बाजार हैं. करावल नगर में घरेलू सामान, रेडीमेड कपड़े और जूते-चप्पल का थोक और फुटकर व्यापार बड़े पैमाने पर होता है. यह स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और हजारों लोगों को रोजगार देते हैं.

मतदाताओं का क्या है रुझान, कौन मारेगा बाजी?
करावल नगर में 2020 के चुनावों में कुल 1,90,658 मतदाता थे. इनमें 1,06,553 पुरुष, 84,096 महिलाएं और 9 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल थे. यह आंकड़े बताते हैं कि यहां का मतदाता संतुलन महत्वपूर्ण है. पुरुष और महिला मतदाताओं की लगभग बराबर भागीदारी इस सीट को और दिलचस्प बनाती है. 2025 के चुनाव में मतदाताओं की संख्या में वृद्धि की संभावना है, जो इसे और रोमांचक बना सकती है. उम्मीदवार अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर वर्ग के मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रहे हैं.

करावल नगर की भविष्य की दिशा
करावल नगर विधानसभा सीट केवल एक राजनीतिक क्षेत्र नहीं, बल्कि दिल्ली के विकास की कहानी है. यहां के मतदाता विकास, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं के आधार पर अपना निर्णय लेते हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2025 का चुनाव करावल नगर में राजनीतिक बदलाव का नया दौर ला सकता है. क्या भाजपा अपना गढ़ बचाने में सफल होगी? क्या आम आदमी पार्टी अपनी खोई हुई पकड़ वापस पा सकेगी या कांग्रेस इस बार अपनी खोई जमीन को पुनः हासिल करेगी. इन सवालों के जवाब जनता के वोटों में छिपे हैं. करावल नगर की राजनीतिक लड़ाई दिल्ली की राजनीति को एक नई दिशा दे सकती है. जो भी पार्टी यहां से विजयी होगी, उसकी छवि दिल्ली के अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव डाल सकती है.