Haryana Stubble Burning 2023: पराली जलाने के लिए मशीन उपलब्ध कराएं सरकार, नहीं तो पराली जलाने को मजबूर किसान
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Haryana Stubble Burning 2023: पराली जलाने के लिए मशीन उपलब्ध कराएं सरकार, नहीं तो पराली जलाने को मजबूर किसान

Haryana Stubble Burning 2023: किसानों ने शासन प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रशासन और अपनी मांगों के समर्थन में एक ज्ञापन भी सौंपा. प्रदर्शन के दौरान किसान नेता मनदीप सिंह नथवान ने पराली प्रबंधन को लेकर शासन और प्रशासन को चेतावनी दी है.

Haryana Stubble Burning 2023: पराली जलाने के लिए मशीन उपलब्ध कराएं सरकार, नहीं तो पराली जलाने को मजबूर किसान

Haryana Stubble Burning 2023: पराली प्रबंधन और डीएपी की कालाबाजारी रोकने की मांग को लेकर किसानों ने आज लघु सचिवालय पर प्रदर्शन किया. पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के तत्वावधान में किए गए प्रदर्शन में किसानों ने शासन प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रशासन और अपनी मांगों के समर्थन में एक ज्ञापन भी सौंपा. प्रदर्शन के दौरान किसान नेता मनदीप सिंह नथवान ने पराली प्रबंधन को लेकर शासन और प्रशासन को चेतावनी दी है.

उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन पराली प्रबंधन के लिए पर्याप्त संख्या में मशीनें मुहैया करवाए अन्यथा किसान पराली जलाने को मजबूर होंगे. उन्होंने कहा कि वे पराली में आग लगाना नहीं चाहते और नहीं पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, क्योंकि किसान भी उसी वातावरण में सांस लेते हैं, जिसमें आम आदमी सांस लेता है, अगर शासन और प्रशासन ने जरूरी मशीनें उपलब्ध नहीं करवाई तो किसान अपने स्तर पर पराली का प्रबंध करेगा.

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उन्होंने आगे कहा कि इसलिए सरकार से मांग करते हैं पराली प्रबंधन के लिए पर्याप्त संख्या में मशीनें उपलब्ध करवाए. वहीं डीएपी की कालाबाजारी को लेकर भी प्रशासन को सचेत किया है. उन्होंने कहा कि डीएपी वितरण को लेकर किसानों के साथ किसी प्रकार का कोई धक्का हुआ तो वे संगठन स्तर पर गोदामों को खुलवा कर खाद का वितरण करेंगे.

उन्होंने कहा कि संगठन की ओर से डीएपी विक्रेताओं और प्रशासन को बार-बार कह चुके हैं. खाद वितरण वाली दुकानों के बाहर स्टॉक बोर्ड लगाया जाए और स्टॉक प्रदर्शित किया जाए, मगर कहीं भी स्टॉक बोर्ड नहीं लगाया गया है. उन्होनें साफ किया है कि अगर किसानों के साथ कालाबाजारी की गई तो वे चुप नहीं बैठेंगे फिर चाहे उन्हें आंदोलन ही क्यूं न करना पड़े.

(इनपुटः अजय मेहता)