Haryana: हुड्डा ने लोन पर हरियाणा सरकार से की श्वेत पत्र जारी करने की मांग
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Haryana: हुड्डा ने लोन पर हरियाणा सरकार से की श्वेत पत्र जारी करने की मांग

बजट और कर्ज को लेकर सरकार जानबूझकर गोलमोल और भ्रामक आंकड़े पेश कर रही है ताकि जनता को असली स्थिति का पता ना चल पाए. पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज पत्रकार वार्ता में आंकड़ों के जरिये सरकार के दावों को चुनौती दी.

Haryana: हुड्डा ने लोन पर हरियाणा सरकार से की श्वेत पत्र जारी करने की मांग

चंडीगढ़: बजट और कर्ज को लेकर सरकार जानबूझकर गोलमोल और भ्रामक आंकड़े पेश कर रही है ताकि जनता को असली स्थिति का पता ना चल पाए. पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज पत्रकार वार्ता में आंकड़ों के जरिये सरकार के दावों को चुनौती दी. उन्होंने कहा कि खुद सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों में बड़ा विरोधाभास देखने को मिलता है.  

उदाहरण के तौर पर 2020-21 में सरकार ने 1,55,645 करोड़ रुपये का अनुमानित बजट पेश किया. बाद में इसे संशोधित करके 1,53,384 करोड़ कर दिया गया. वास्तविक बजट को और घटकर 1,35,909 करोड़ कर दिया गया. इसी तरह 2022-23 में अनुमानित बजट 1,77,235 करोड़ था, जो संशोधित होकर 1,64,807 करोड़ रह गया.  

लोन की बात की जाए तो 2020-21 में सरकार ने बताया कि प्रदेश पर 2,27,697 करोड़ रुपये का कर्ज है. जबकि सीएजी रिपोर्ट में 2,79,967 करोड़ कर्ज बताया गया और आरबीआई के मुताबिक यह कर्ज 2,62,331 करोड़ था. इसी तरह 2022-23 में सरकार ने प्रदेशभर 2,43,701 करोड़ रुपये का कर्ज दिखाया जबकि आरबीआई के मुताबिक यह कर्ज 2,87,266 करोड़ था. यानी कि सरकारी आंकड़ों में ही 44,513 करोड़ का अंतर देखने को मिला. इसी तरह जब सीएजी की रिपोर्ट आएगी तो उसमें और अंतर देखने को मिल सकता है. ऐसे में यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पर लोन के भिन्न-भिन्न आंकड़े पेश करने का आरोप लगाते हैं. जबकि सरकार जानबूझकर खुद भिन्न-भिन्न आंकड़ों के फेर में उलझी हुई नजर आती है. 

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज भी अपनी बात पर कायम हैं. प्रदेश पर आंतरिक कर्ज और तमाम दिनदारियां मिलाकर 4 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्जा है. क्योंकि सरकार ने खुद 2023-24 के बजट में बताया कि प्रदेश पर 2,85,885 करोड़ का कर्ज है. सीएजी की रिपोर्ट में 36,809 करोड़ रुपये (पब्लिक अकाउंड डिपोजिट, स्माल सेविंग्स, मार्च 2022 तक) बताई गई जोकि हर साल 3000 से 4000 करोड़ बढ़ जाती है. इसलिए जो बढ़कर 31 मार्च 2024 तक करीब 44,000 करोड़ हो जाएगी. 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा ये भी कहा कि इसलिए कांग्रेस बार-बार सरकार से श्वेत पत्र की मांग कर रही है. इसमें 31 मार्च 2023 तक प्रदेश पर कुल आंतरिक कर्ज, पब्लिक अकाउंट डिपॉजिट (स्मॉल सेविंग्स), पब्लिक एंटरप्राइजेज द्वारा लिया गया कर्ज, एडिशनल लायबिलिटीज (सरकार द्वारा सभी सर्विस प्रोवाइडर्स और सप्लायर्स को देय) का जिक्र हो.  

प्रदेश पर कर्ज के आंकड़े इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि 2014-15 से लेकर 2022-23 तक राज्य पर कर्ज का बोझ 4 गुना तक बढ़ गया है. जबकि इस दौरान एसजीडीपी में सिर्फ 2.1 गुना की ही बढ़ोतरी हुई है. यानी लोन की विकास दर प्रदेश की आर्थिक विकास दर से कहीं ज्यादा है.  

राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में बताया कि 2022-23 में जीएसटी संग्रह में 26.53 प्रतिशत और एक्साइज में 22.47 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. इसके विपरीत बजट में टैक्स से आय को संशोधित करके 82,653 करोड़ से घटाकर 75,714 करोड़ कर दिया गया. ऐसे में यह समझ से परे है कि राज्य की आय में बढ़ोत्तरी हो रही है तो जीएसडीपी के अनुपात में कर संग्रह कैसे कम हो रहा है? जो कर संग्रह 2020-21 में जीएसडीपी का 8.1 प्रतिशत था, वह 2022-23 में घटकर 7.6 प्रतिशत कैसे रह गया? ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के कर संग्रह में हेराफेरी हो रही है या सरकार द्वारा दिए गए जीडीपी के आकड़ों में गड़बड़ है. 

हुड्डा ने बताया कि सरकार ने शिक्षा पर 20,340 करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया है जो कि जीडीपी का महज 2% है. जबकि नई शिक्षा नीति 6% खर्च करने की सिफारिश करती है. ऐसे में सरकार द्वारा 11 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का ऐलान सिर्फ कागजी नजर आता है. इसी तरह सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं पर 9,647 करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया है जोकि बजट का सिर्फ 5.2% है. जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में साल 2020 तक ही स्वास्थ्य सेवाओं पर 8% खर्च की सिफारिश की गई थी. 

कृषि क्षेत्र की बात की जाए तो सरकार ने इसपर 7,342 करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया है. यह कुल बजट का सिर्फ 3.9% है जबकि हरियाणा की 60% आबादी कृषि पर निर्भर है. इतनी बड़ी आबादी के लिए 4% से भी कम खर्च करना उसके साथ अन्याय है. 

वहीं प्रति व्यक्ति आय को लेकर सरकार ने हवा हवाई दावे किए हैं, क्योंकि सरकार ने प्रति व्यक्ति आय 2,96,685 रुपये बताई है. इस हिसाब से प्रत्येक परिवार की सालाना आय 14,83,425 रुपये बनती है. प्रदेश के 30 लाख ऐसे परिवार हैं, जो सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर करते हैं. एनएसएसओ की रिपोर्ट बताती है कि किसान परिवारों की कुल आय 22,841 रुपये महीना यानी 2,75,000 रुपये सालाना से ज्यादा नहीं है. वहीं दूसरी तरफ सरकार दावा करती है कि प्रदेश में 30 लाख परिवार (जिनकी आय 2.50 लाख से कम है) आयुषमान योजना के लाभार्थी हैं. ऐसे में 2,96,685 रुपये प्रति व्यक्ति आय का दावा धरातल पर सही नहीं बैठता. अगर सरकार वास्तविक आय का आंकड़ा जुटाना चाहती है तो उसे जिलावार प्रति व्यक्ति आय का ब्यौरा जुटाना चाहिए

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