मनीष सिसोदिया का SC में हलफनामा, कहा- दिल्ली सरकार का सहयोग नहीं करते अधिकारी
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1434248

मनीष सिसोदिया का SC में हलफनामा, कहा- दिल्ली सरकार का सहयोग नहीं करते अधिकारी

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है, जिसमें अधिकारियों की शिकायत करते हुए कहा कि राजधानी में काम कर रहे अधिकारी AAP सरकार के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं. इससे दिल्ली में चुनी हुई सरकार को कामकाज में दिक्कत हो रही है. 

मनीष सिसोदिया का SC में हलफनामा, कहा- दिल्ली सरकार का सहयोग नहीं करते अधिकारी

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की AAP सरकार और LG वीके सक्सेना के बीच नई शराब नीति से शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए अधिकारियों की शिकायत की है. साथ ही कहा है कि विनय सक्सेना को LG बनाए जाने के बाद से हालात और खराब हो गई है. 

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया द्वारा बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया है, जिसमें आरोप लगाया है कि राजधानी में काम कर रहे अधिकारी आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं. इससे दिल्ली में चुनी हुई सरकार के कामकाज में दिक्कत हो रही है. सिसोदिया का कहना है कि अधिकारी दिल्ली सरकार के मंत्रियों की ओर से बुलाई मीटिंग में शामिल नहीं होते, यहां तक की अधिकारी मंत्रियों के फोन कॉल भी नहीं उठाते और लिखित में जारी दिशा-निर्देशों की भी अवहेलना कर रहे हैं. 

ये भी पढ़ें- MCD Election 2022: BJP ने जारी किया 'वचन पत्र', झुग्गी में रहने वाले सभी लोगों को मिलेगा पक्का मकान

विनय कुमार सक्सेना के नए LG के तौर पर नियुक्ति के बाद स्थिति और खराब हो गई है. अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार केंद्र सरकार और LG के पास है. ऐसे में स्वाभाविक है कि अधिकारी दिल्ली सरकार को लेकर उदासीन रुख अख्तियार किये हुए हैं. मनीष सिसोदिया ने ये हलफनामा SC में प्रशासनिक अधिकारियों पर नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार के बीच चल रहे विवाद के मद्देनजर दाखिल किया है. अभी ये मामला SC की संविधान पीठ के सामने पेंडिंग है.

12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी और कार्यकारी शक्तियों के दायरे पर कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की थी.

इससे पहले साल 2019 में दो सदस्यीय पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर खंडित फैसला दिया था. वहीं साल 2018 में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में सर्वसम्मति से कहा था कि 'दिल्ली के उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह से बंधे हुए हैं और दोनों को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है.'