AIIMS: एम्स के डॉक्टरों ने सुई की मदद से मां के पेट गर्भ में पल रहे बच्चे की 90 सेकेंड की सर्जरी. इस प्रक्रिया को बैलून डायलेशन कहा जाता है. इस कामयाबी पर पीएम मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने एम्स के डॉक्टरों को बधाई दी है। पीएम ने ट्वीट करके कहा है कि भारत के डॉक्टरों पर गर्व है.
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AIIMS: 28 हफ्ते की प्रेगनेंसी के साथ एक गर्भवती महिला को एम्स में रेफर किया गया. एम्स के डॉक्टरों ने देखा कि गर्भ में पल रहे बच्चे के दिल का वॉल्व बंद है जिसे अगर खोला नहीं गया तो दिल विकसित नहीं होगा और पैदा होने के बाद बच्चे को दिल की गंभीर बीमारी होने या उसकी जान जाने का भी खतरा हो सकता है. इस महिला का पहले भी दो बार गर्भपात हो चुका था और तीसरी बार बच्चे का जन्म के 20 दिन बाद देहांत हो गया था. इस बार माता-पिता ने इस प्रोसीजर को करने का फैसला किया.
एम्स के डॉक्टरों ने सुई को मां के पेट से गुजरते हुए गर्भ में पल रहे बच्चे के हार्ट वॉल्व को खोलने के लिए वहां तक बैलून पहुंचाया जाता है. चुनौती ये थी कि 90 सेकेंड में ये सारा काम करना जरुरी होता है. एक डॉक्टर तय समय के लिए एनेस्थिसिया दिया जाता है और कुछ मिनट के लिए मां और बच्चे के मूवमेंट को रोकना जरुरी होता है ताकि सुई कहीं और ना चली जाए. इस प्रक्रिया को बैलून डायलेशन कहा जाता है.
इस प्रोसीजर को 90 सेकेंड में पूरा करना होता है, लेकिन इसे करने से पहले 90 घंटे की तैयारी लगी और इसके लिए पहले से मॉक ड्रिल की गई. तकरीबन 25 डॉक्टरों और टेक्नीशियन्स की टीम ने इस प्रोसीजर को अंजाम दिया है. फीटल मेडिसन की एक्सपर्ट डॉ. वत्सला डडवाल और कार्डियोलोजिस्ट डॉ. रामा की टीम ने इस कठिन प्रोसीजर को अंजाम दिया. इस प्रोसीजर को 25 जनवरी को किया गया.
तब से लेकर अब तक गर्भ में बच्चे की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है और बच्चे का दिल ठीक से डेवलेप कर रहा है. हालांकि, बच्चे के जन्म के समय सही पता चल सकेगा कि उसका दिल कितना सही काम कर पाएगा. एक और बार बैलून से इस वॉल्व को खोलना पड़ सकता है या फिर दिल की सर्जरी भी करनी पड़ सकती है और सब कुछ ठीक रहा तो कुछ किए बिना भी काम चल सकता है.
Proud of India’s doctors for their dexterity and innovation. https://t.co/Rud6hMY7OG
— Narendra Modi (@narendramodi) March 15, 2023
1000 में से 8 बच्चों को इस तरह की समस्या आ सकती है. हालांकि गर्भ में बैलून डायलेशन करके प्रोसीजर के दुनियाभर में 100 के करीब केस ही सामने आए हैं. गर्भ में बैलून डायलेशन यूएस और जर्मनी जैसे देशों में आम है, लेकिन भारत में प्राइवेट अस्पताल में ये प्रोसीजर काफी खर्चीला है और सरकारी अस्पतालों में इस कोऑर्डिनेशन के साथ इस प्रोसीजर को करने की चुनौती बनी रहती है.
इस कामयाबी पर पीएम मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने एम्स के डॉक्टरों को बधाई दी है। पीएम ने ट्वीट करके कहा है कि भारत के डॉक्टरों पर गर्व है।
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