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Karma Puja 2024: झारखंड में ऐसे मनाया गया करमा धरमा पर्व, देखें ये अनोखी तस्वीरें

Karma Puja 2024: झारखंड-बिहार समेत देश के अलग-अलग राज्यों में हर साल लोग करमा का पर्व काफी उत्साह के साथ मनाते हैं. प्रत्येक साल ये त्यौहार भादो शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को मनाया जाता है. जो कि इस साल 14 सितंबर, दिन शनिवार को मनाया गया. करमा पर्व या पूजा को पद्मा एकादशी और भादो एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस खास मौके पर आदिवासी लोग अच्छी फसल होने की कामना करते हैं. साथ ही बहन अपने भाई की सलामती और दीर्घायु होने के लिए पूजा प्रार्थना करती है. करम पर्व के मंगल दिन लोग ईश्वर की उपासना करते हुए अच्छे कर्म और मंगल भाग्य की कामना करते हैं. श्रद्धालु इस दिन करमा-धर्मा देवता की पूजा करते हैं. करमा और धर्मा इस त्योहार के प्रमुख देवता हैं. जिनकी लोग श्रद्धा अनुसार पूजा करते हैं. 

करम डाली की पूजा

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करम डाली की पूजा

वहीं, भाइयों के लम्बी उम्र के लिये बहनों ने व्रत रख करम डाली की पूजा की. आयोजन समिति सदस्य ने कहा कि झारखंड मैदान में 1993 से करम महोत्सव का आयोजन किया जाता है. बहने अपने भाइयों के लम्बी उम्र के लिये यह पर्व विधि विधान के साथ करती है. 

करम महोत्सव

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करम महोत्सव

झारखंड के धनबाद में जगह-जगह करम महोत्सव झारखंडी संस्कृति अनुसार मनाया जा रहा है. झारखंड मैदान सरना समिति द्वारा करम महोत्सव धूमधाम से मनाया गया है. आदिवासी महिलाएं, युवती, युवक करम महोत्सव में जमकर झारखंडी गीत पर नृत्य किये. पारम्परिक वेशभूषा में सभी देर रात तक नृत्य करते रहें. 

भाइयों की पूजा

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भाइयों की पूजा

सरना स्थल के अलावा सलडेगा सरना स्थल, शिशु मंदिर में रात भर कर्म गीतों पर लोग थिरकते नजर आए. रविवार सुबह में कर्म डाली का विसर्जन कर पर्व की पूर्णाहुति की गई है. इसके बाद भाइयों की पूजा अर्चना कर बहनों ने प्रसाद ग्रहण किया है. 

 

पारंपरिक वेशभूषा में पारंपरिक नृत्य

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पारंपरिक वेशभूषा में पारंपरिक नृत्य

सिमडेगा जिले के शहरी क्षेत्र के सरना स्थल, सलडेगा शिशु मंदिर के अलावा अन्य स्थानों पर भारी संख्या में बहनों ने अपने भाइयों के लिए पूजा अर्चना की. पूजा अर्चना के बाद रात भर पारंपरिक वेशभूषा में पारंपरिक नृत्य का आयोजन किया गया. 

प्रकृति पर्व करम

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प्रकृति पर्व करम

झारखंड के सिमडेगा जिले में प्रकृति पर्व करम धूमधाम से मनाया गया. भाई-बहन का पर्व कर्मा के अवसर पर दिनभर उपवास रहकर बहनों के द्वारा देर शाम को कर्म डाली के नीचे पूजा अर्चना की गई.

 

जावा जोगाई करम देवता

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जावा जोगाई करम देवता

बहन जावा जोगाई को करम देवता मानती है. 7 दिनों तक इसे अपने-अपने घर में सुरक्षित स्थान पर रखती है. वह उनकी पूजा करती है. कल जावा जोगाई नृत्य के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. मांदर और नगाड़े के थाप पर कर्म गीत गा कर महिलाएं पूरी रात झुमती रही. वहीं, मौजूद महिलाओं ने विधिवत रूप से करम डाली की पूजा अर्चना की.

करम पर्व पूजा

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करम पर्व पूजा

पाकुड़ शहर के छोटी अलीगंज, शहरकोल, गोकुलपुर, बलियाडांगाल समेत कई जगहों पर करमा पूजा हुआ. कर्म पूजा झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस पर्व में बहने अपने भाइयों की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र की कामना करती है. परंपरागत तरीके से भाई की दीर्घायु के लिए युवतियों उपवास रख पूजन करती है. 

पाकुड़ करम पर्व

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पाकुड़ करम पर्व

झारखंड के पाकुड़ में करमा पर्व धूमधाम से मनाया गया. शहर के छोटी अलीगंज में प्रकृति और भाई-बहन का पर्व करमा पूजा धूमधाम से हुआ. करम पर्व का अपना ही महत्व है. यह पर्व भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है. भाई की सुख-समृद्धि के लिए बहनें पूजा करती हैं. पूजा-अर्चना करने के पश्चात महिला-पुरुष नगाड़ा, मांदर और बांसुरी के साथ करम शाखा के चारों ओर करम नाच-गान किया. 

 

झारखंड का पारंपरिक त्योहार

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झारखंड का पारंपरिक त्योहार

करम पर्व झारखंड वासियों का प्राचीन और पारंपरिक त्यौहार है. जिसे झारखंड के लोग धान की रोपाई खत्म होने के बाद मनाते हैं. इस पर्व में झारखंड वासी प्रकृति की पूजा करते हुए अच्छे फसल होने की ईश्वर से कामना करते है. कहा जाता है कि झारखंड वासियों द्वारा प्रकृति पूजन की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

 

करम त्योहार

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करम त्योहार

करम त्योहार को भाई-बहन के अटूट बंधन और स्नेह का प्रतीक माना जाता है. इसके साथ ही कर्मा पर्व को झारखंड की समृद्ध, संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है. करम पर्व राज्य झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है. जिसे लोग हर साल बहुत ही हर्षो उल्लास के साथ मनाते हैं. 

(इनपुट - सिमडेगा से रविकांत साहू, धनबाद से नितेश मिश्रा, पाकुड़ से सोहन प्रमाणिक)