Ranchi Assembly Seat: 3 दशक से लहरा रहा भगवा, क्या इस बार JMM-कांग्रेस को मिलेगी सफलता?
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Ranchi Assembly Seat: 3 दशक से लहरा रहा भगवा, क्या इस बार JMM-कांग्रेस को मिलेगी सफलता?

Ranchi Assembly Seat Profile: 1990 से यहां लगातार भाजपा ही चुनाव जीतती रही है. बीजेपी के सीपी सिंह कमल खिलाने की डबल हैट्रिक बना चुके हैं. बीजेपी के अपने अभेद्य किले को बचाने के लिए महागठबंधन रणनीति बनाने में जुटा है. वहीं अपने गढ़ को सुरक्षित रखने के लिए बीजेपी भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है. 

रांची विधानसभा सीट

Ranchi Assembly Seat Profile: झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. विपक्ष और सत्तापक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. चुनाव लड़ने के सबके अपने दावे और मुद्दे हैं. विधानसभा सीटों के समीकरण भी अलग-अलग है. इसके बाद भी दोनों गठबंधनों का दावा है कि इस बार प्रदेश में उनकी सरकार बन रही है. अगर रांची विधानसभा सीट की बात की जाए, तो इस बार यहां कांटे की टक्कर है. रांची विधानसभा सीट पर पिछले तीन दशक से बीजेपी का कब्जा है. 1990 से यहां लगातार भाजपा ही चुनाव जीतती रही है. बीजेपी के सीपी सिंह कमल खिलाने की डबल हैट्रिक बना चुके हैं. बीजेपी के अपने अभेद्य किले को बचाने के लिए महागठबंधन रणनीति बनाने में जुटा है. वहीं अपने गढ़ को सुरक्षित रखने के लिए बीजेपी भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है. 

पिछले चुनाव का नतीजा

2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में रांची विधानसभा सीट से बीजेपी के चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह (सीपी सिंह) ने जीत हासिल की थी. इस चुनाव में सीपी सिंह को 5,904 वोटों से जीत मिली थी. सीपी सिंह को 79,646 वोट हासिल हुए, तो वहीं जेएमएम के महुआ मांझी को 73,742 वोट मिले थे. 2014 में भी बीजेपी के सीपी सिंह ही जीते थे. उस चुनाव में सीपी सिंह की जीत का अंतर 58,863 वोट था. मतलब साफ है कि 2019 में सीपी सिंह बड़ी मुश्किल से जीते थे. हालांकि, 1996 से वह लगातार जीत रहे हैं, तो यह जीत काफी अहम हो जाती है. 

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इस बार के समीकरण

इस बार के समीकरण बिल्कुल बदल चुके हैं. पिछला चुनाव बाबूलाल मरांडी अपनी अलग पार्टी बनाकर लड़े थे, लेकिन अब वह फिर से बीजेपी में वापसी कर चुके हैं और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. वहीं अभी प्रत्याशियों का ऐलान तो नहीं हुआ है, लेकिन पिछली बार की तरह इस बार झामुमो को गठबंध में शामिल दल कांग्रेस और राजद का साथ मिल रहा है. इसके बावजूद जेएमएम के लिए बीजेपी के गढ़ में सेंधमारी करना बड़ी चुनौती है. हेमंत सोरेन को अल्पसंख्यक वोटरों पर तो उनको पूरा भरोसा है. वह लगातार शहरी मतदाताओं में पकड़ बनाने की कोशिश में जुटे हैं. इन प्रत्याशी के बीच चेंबर के पूर्व अध्यक्ष पवन शर्मा भी चुनावी मैदान में हैं. यह भाजपा के परंपरागत वोटरों में सेंध मारने की कोशिश करेंगे. 

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