Anand Mohan: 5 दिसंबर 1994 का वो काला दिन और एंबेस्डर कार से जी. कृष्णैया का निकलना... काश! डीएम साहब मेरी बात मान लेते
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Anand Mohan: 5 दिसंबर 1994 का वो काला दिन और एंबेस्डर कार से जी. कृष्णैया का निकलना... काश! डीएम साहब मेरी बात मान लेते

ड्राइवर ने बताया कि डीएम की कार देखते ही करीब 5,000 लोगों की भीड़ ने हमला बोल दिया था. 

जी. कृष्णैया के ड्राइवर ने बताई पूरी सच्चाई

G Krishnaiah Driver: डीएम जी. कृष्णैया के हत्यारे आनंद मोहन की रिहाई के बाद से 1994 का वो काला दिन सभी के जेहन में ताजा हो गया ह. अब 28 साल बाद जी. कृष्णैया के ड्राइवर रहे और घटना के चश्मदीद दीपक कुमार की ओर से बड़ा खुलासा किया गया है. दीपक का कहना है, वो घटना आज भी आंखों के सामने तैयार रही है. 5 दिसंबर 1994 का दिन था और अपनी एंबेस्डर कार से डीएम जी. कृष्णैया वैशाली से मीटिंग कर रवाना हुए थे. कार में डीएम पीछे बैठे थे. आगे ड्राइवर दीपक और डीएम का बाॅडीगार्ड. 

दीपक का कहना है, कार मुजफ्फरपुर के सदर थाने के खबरा गांव पहुंची तो हाइवे नंबर 28 पर तगड़ी भीड़ थी. डीएम की कार देखते ही करीब 5,000 लोगों की भीड़ ने हमला बोल दिया था. ड्राइवर दीपक ने बैक गियर लिया और पीछे भगाने लगा पर डीएम जी. कृष्णैया ने कहा- गाड़ी रोको. गाड़ी रुकते ही डीएम बाहर निकल गए. इस पर मैंने उन्हें बाहर न जाने की सलाह दी पर वे नहीं माने. फिर क्या था, डीएम साहब बाहर निकले और भीड़ उन पर टूट पड़ी. 

घटना में ड्राइवर भी हुआ था जख्मी

घायलावस्था में खून से लथपथ डीएम साहब को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई थी. मुजफ्फरपुर के सदर थाने में इस घटना की एफआईआर 216-1994 के रूप में दर्ज हुई थी. घटना में दीपक को भी चोट लगी थी. कान में इस कदर चोट लगी कि आज भी वे कम सुनते हैं. वे गोपालगंज के अधिवक्तानगर काॅलोनी में रहते हैं और आज भी डीएम के ड्राइवर हैं. 

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'इस घटना के बाद से हुआ सचेत'

दीपक का कहना है कि इस घटना के बाद से मैं बहुत सचेत रहता हूं और जब भी किसी अफसर को लेकर जाता हूं तो अलर्ट मोड में रहता हूं. दीपक यह भी कहते हैं कि अगर ऐसा वाकया आगे भी कभी हुआ तो वे अफसर का ऑर्डर नहीं मानेंगे और गाड़ी भगा ले जाएंगे.

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