Bihar News: बिहार में शिक्षकों की ट्रांसफर पॉलिसी पर सियासत तेज, देखें शिक्षक संघ ने क्या सवाल उठाए
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Bihar News: बिहार में शिक्षकों की ट्रांसफर पॉलिसी पर सियासत तेज, देखें शिक्षक संघ ने क्या सवाल उठाए

Bihar News: आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बयान देते हुए कहा शिक्षकों के साथ ज्यादती की गई है. महागठबंधन की सरकार थी तो तेजस्वी यादव ने शिक्षकों के साथ न्याय किया था.

प्रतीकात्मक

Bihar News: बिहार में शिक्षा विभाग ने नई शिक्षक स्थानांतरण एवं पदस्थापना नीति लागू कर दिया है. नीतीश सरकार ने नई ट्रांसफर नीति का ऐलान कर दिया. बीपीएससी से पास और सक्षमता परीक्षा पास नियोजित शिक्षकों का इस साल ट्रांसफर होगा. शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि जल्द ही आवेदन लिए जाएंगे और दिसंबर 2024 तक नए स्कूलों में नियुक्ति दे दी जाएगी. शिक्षकों की ओर से स्थानांतरण नीति की लंबे समय से मांग की जा रही थी, लेकिन अब शिक्षक संगठन इस पर आपत्ति दर्ज करा रहे हैं. बिहार सरकार द्वारा जारी की गई नई पदस्थापन एवं स्थानांतरण नीति पर बिहार विद्यालय अध्यापक संघ को कई आपत्तियां जताई हैं.

(1) ट्रांसफर नियमावली के अनुसार पुरुषों का गृह अनुमंडल में पोस्टिंग नहीं होगा. कई जिलों में एक ही अनुमंडल है... वहां क्या होगा? और यह बाध्यता पुरुष शिक्षकों के साथ ही क्यों? शिक्षिकाओं के लिए गृह पंचायत में पोस्टिंग नहीं होने की बाध्यता है. वही नियम पुरुषों के लिए भी होना चाहिए.

(2) किसी भी शिक्षिका की पोस्टिंग उसके गृह नगर निकाय या वर्तमान नगर निकाय में भी नहीं होगी. यह शहरी क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं पर बहुत बड़ा जुल्म है. शहरी क्षेत्र के महिलाओं की पोस्टिंग सुदूर गांव में क्यों? अपने गृह नगर निकाय में उनकी पोस्टिंग से आखिर दिक्कत क्या है??

(3) असाध्य रोगों से ग्रसित एवं दिव्यांग शिक्षकों को भी अपने गृह पंचायत या नगर निकाय में नहीं मिलेगी पोस्टिंग. ये कैसा नियम है? इन दोनों समूह वर्गों के शिक्षकों को तो अपने घर के सबसे नजदीक विद्यालय में पोस्टिंग मिलनी चाहिए चाहे वो उनका गृह पंचायत हो या नगर निकाय. ये बाध्यता क्यों?

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(4) इस नियमावली में सबसे खराब प्रावधान है हर 5 साल में जबरन ट्रांसफर. यह समझ में नहीं आ रहा है. आज तक पूरे इतिहास में कभी शिक्षकों के लिए जबरन ट्रांसफर का प्रावधान नहीं रहा है. फिर इस बार ऐसा क्यों? क्या हर 5 साल में सरकार ट्रांसफर के माध्यम से अवैध कमाई करना चाहती है?

( 5) इस नियमावली से सबसे ज्यादा फायदा यूपी/झारखंड वाले शिक्षकों को है. उन पर गृह नगर निकाय या अनुमंडल वाला नियम लागू ही नहीं होगा और उन्हें आराम से शहरी क्षेत्रों में पोस्टिंग मिल जाएगी. बिहार की महिलाएं गांवों में और बाहर की महिलाएं शहरों में, ये दोहरी नीति क्यों? संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम का कहना है कि सरकार ने बिना शिक्षक संघों से सुझाव लिए या उनसे बिना वार्ता किए जो नई स्थानांतरण एवं प्रतिस्थापन नीति तैयार की है. उसमें व्यापक अनियमितताएं एवं भेदभावपूर्ण प्रावधान हैं. सरकार द्वारा जारी की गई उक्त नीति पर अभी भी शिक्षक सांडों के साथ बैठक करने की जरूरत है ताकि आवश्यक बदलाव किए जा सकें. अन्यथा की स्थिति में मामला हाईकोर्ट जाएगा और ट्रांसफर पॉलिसी लागू नहीं हो पाएगी.

टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ की आपत्तियां

(1) BPSC और नियमित शिक्षक की भाँति ही सक्षमता उत्तीर्ण शिक्षको का स्थान्तरण अनिवार्य के बजाय स्वेच्छिक हो.

(2). पुरूष शिक्षकों को अनुमंडल के बजाय पदस्थापित/गृह प्रखंड प्रखंड से अन्य प्रखंड में जाने का मौका मिले न कि अनुमंडल स्तर पर पोस्टिंग हो.

(3). इस नियम के तहत बांका, जमुई, जहानाबाद, किशनगंज, लखीसराय, शेखपुरा और शिवहर में एक ही अनुमंडल है. इस स्थिति में वहां के पुरुष शिक्षक कहां जायेंगे?जबकि BSEB द्वारा जारी रिजल्ट कार्ड में उन्हें अपना गृह जिला अलॉट हुआ है.

(4). नियोजित शिक्षक के तौर पर किया गया सर्विस लेंथ का विशिष्ट शिक्षक बनने के बाद क्या होगा? सेवा निरंतरता का लाभ मिलेगा या नहीं मिलेगा इसमें यह स्प्ष्ट नहीं किया गया है.

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वहीं अब इस मामले पर सियासत शुरू हो गई है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बयान देते हुए कहा शिक्षकों के साथ ज्यादती की गई है, एक तो ट्रांसफर पोस्टिंग मामले में सरकार ने विलंब किया. जब महागठबंधन की सरकार थी तो तेजस्वी यादव ने शिक्षकों के साथ न्याय किया था. उन्होंने कहा कि ट्रांसफर नीति भी उसी समय तय हुई थी लेकिन सरकार ने विलंब किया. शिक्षक संघ भी इसका विरोध कर रहा है, शिक्षकों को भी लग रहा है कि आखिर किन से सलाह लेकर यह किया गया. उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षक संघ से सुझाव लेकर नीति बनानी चाहिए थी.

वहीं जेडीयू एमएससी नीरज कुमार ने कहा आधिकारिक शिक्षक संगठन की ओर से अभी तक कोई आपत्ति नहीं आई नही है. उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश के कार्यकाल में गठबंधन के टूटने का एक महत्वपूर्ण कारण यही था. नीतीश कुमार ने नौकरी के बदले जमीन नहीं ली. पदस्थापन में पैसे का खेल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों के बारे में संवेदनशील है. तात्कालिक रूप से जो विकल्प दिए गए हैं, उससे बेटियों की बड़ी आबादी को, दिव्यांग को सुविधा मिलेगा. जेडीयू नेता ने कहा कि जो लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं, उनको ये समझना चाहिए की तात्कालिक रूप से जो व्यवस्था सरकार ने की है शिक्षक छात्र अनुपात में हम देश में नंबर 1 हैं.

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