Jharkhand Village: झारखंड के सिमडेगा जिले के चेरंगा गांव के बच्चों और युवाओं में शिक्षा की स्थिति इतनी खराब है कि अब तक सिर्फ एक ही युवा मैट्रिक की परीक्षा पास कर पाया है. चेरंगा गांव से सिर्फ आधा किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ राज्य के गांव में बिजली, पानी और सड़क जैसी सुविधाएं अच्छी तरह से उपलब्ध हैं. जबकि चेरंगा गांव में इन सुविधाओं की भारी कमी है.
सरकार आदिम जनजाति के लोगों की शिक्षा और विकास के लिए कई योजनाएं बनाती है, लेकिन चेरंगा गांव में इन योजनाओं का कोई असर नहीं दिखता. यहां एक भी स्कूल नहीं है. गांव के बच्चे दो किलोमीटर दूर कालो अम्बा प्राथमिक स्कूल जाते हैं. मिडिल स्कूल की पढ़ाई के लिए उन्हें चार किलोमीटर पैदल चलकर डोडा पानी मध्य विद्यालय जाना पड़ता है.
गांव में सड़क न होने के कारण ग्रामीण लोग पगंडडी के रास्ते चलकर आते-जाते हैं. अगर किसी को बीमारियों की वजह से इलाज के लिए ले जाना हो तो खाट पर लादकर सड़कों तक ले जाना बहुत कठिन है.
चेरंगा गांव में सबसे बड़ी समस्या सड़कों की है. सड़क बनाने के लिए जरूरी जमीन दूसरे गांव के लोगों की है. जो उसे देने को तैयार नहीं दो बार जमीन बनाने की योजना बनी, लेकिन जमीन विवाद के कारण निर्माण शुरू नहीं हो पाया.
चेरंगा गांव से सिर्फ आधा किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ राज्य के गांव में बिजली, पानी और सड़क जैसी सुविधाएं अच्छी तरह से उपलब्ध हैं. जबकि चेरंगा गांव में इन सुविधाओं की भारी कमी है.
इस गांव में लगभग 27 परिवार रहते हैं, जिनकी कुल आबादी करीब 127 है. यहां ज्यादातर लोग आदिम जनजाति कोरवा से हैं और कुछ उरांव जनजाति के परिवार भी यहां रहते हैं.
गर्मी के मौसम में चेरंगा गांव में पानी की बहुत कमी हो जाती है. गांव में सिर्फ दो कुएं हैं, जो गर्मियों में सूख जाते हैं. ग्रामीण लोग खेतों में बने गड्ढों का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं। गांव में एक सोलर जलमीनार लगा हुआ है, जो कुएं से पानी खींचकर कुछ घरों तक नलों से पहुंचाता था लेकिन वह भी कई महीनों से खराब पड़ा है.