Rudraksh & Tulsi Mala: क्या तुलसी और रुद्राक्ष की माला एक साथ कर सकते हैं धारण? जानिए क्या है कथावाचक संतों की राय
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Rudraksh & Tulsi Mala: क्या तुलसी और रुद्राक्ष की माला एक साथ कर सकते हैं धारण? जानिए क्या है कथावाचक संतों की राय

आपको बता दें कि हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को जितना पवित्र माना गया है उतना ही पवित्र तुलसी की माला भी है.

(फाइल फोटो)

Rudraksh & Tulsi Mala: आपको बता दें कि हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को जितना पवित्र माना गया है उतना ही पवित्र तुलसी की माला भी है. एक तरफ जहां रुद्राक्ष भगवान औघड़दानी भोलेनाथ यानी शिव को बेहद पसंद है वहीं दूसरी तरफ तुलसी माला लक्ष्मी, भगवान श्री हरिनारायण विष्णु या कहें तो मुरलीधर श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है. बता दें कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव यानी रुद्र के अक्ष यानी आंसुओं से हुई है. ऐसे में यह बेहद प्रभावशाली माना गया है. ऐसे में इसको लेकर लगातार लोगों के बीच मतांतर रहा है कि रुद्राक्ष और तुलसी की माला को एक साथ धारण करना चाहिए या नहीं. 

रुद्राक्ष और तुलसी की माला को एक साथ धारण करने को लेकर आपके मन में भी सावल उठ रहा होगा. तो आज हम आपको बताएंगे कि यह दावा कि रुद्राक्ष और तुलसी की माला को एक साथ धारण करने से अशुभ प्रभाव पड़ता है यह कितना सही और कितना गलत है. क्या किसी शास्त्र, पुराण या वेद में यह वर्णित है या दोनों मालाओं को एक साथ धारण करना किसी में भी निषेध किया गया है. 

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पहले तो बता दें कि यह लड़ाई केवल वैष्णव और शैव दोनों के मानने वालों को लेकर झगड़ा पैदा कराने या उनके बीच खाई पैदा करने के लिए फैलाया गया एक झूठ है. दोनों ही मालाओं को धारण करने के लिए एक तरह की ही पवित्रता का जिक्र किया गया है. इसके साथ ही कई जगहों पर शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि दोनों की मालाओं को लोगों को धारण करना चाहिए, इससे जहां शारीरिक कष्ट दूर होता है, आत्मबल मिलता है, मानसिक शांति मिलती है, आत्मविश्वास बढञता है. वहीं साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि और यश की बढ़ोत्तरी होती है. 

कई बार तो यह कहा जाता है कि तुलसी की माला और रुद्राक्ष एक साथ धारण नहीं करना चाहिए इससे दोनों मालाओं का प्रभाव कम हो जाता है. ऐसा इसलिए कहा जा सकता है कि शिव को प्रिय रुद्राक्ष है और शिव पर तुलसी दल या तुलसी का चढ़ाना निषेध बताया गया है. ऐसे में इसको लेकर ऐसा कहा जाता है लेकिन, यह भी सच नहीं है. अगर आपको ऐसा लगता भी है और आप दोनों को धारण करना चाहते हैं तो एक को गले में और दूसरे को हाथ में धारण कर सकते हैं. 

कथावाचक और संत आचार्य कौशिक जी महाराज की मानें तो कहीं भी दोनों मालाओं को एक साथ धारण करना निषेध नहीं माना गया है. 

वहीं कथावाचक और संत राजेंद्र दास जी महाराज भी एक कथा के माध्यम से बताते हैं कि रुद्राक्ष और तुलसी की माला को एक साथ धारण किया जा सकता है. आप इन दोनों वीडियो को देखेंगे तो आपको काफी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी. 

हालांकि तुलसी और रुद्राक्ष दोनों के बारे में कहा जाता है कि दोनों से अलग-अलग तरह की ऊर्जा निकलती है. जहां तुलसी की माला से यूनी डायमेंशनल उर्जा यानी एकीकृत ऊर्जा का संचार होता है जो एक क्षेत्र में ही आदमी को आगे बढ़ाकर शिखर तक ले जाता है. वहीं रुद्राक्ष से  'मल्टी डाईमेंशनल' यानी अनेकीकृत ऊर्जा प्रवाहित होती है जो कई क्षेत्रों में एक साथ काम करती है. ऐसे में दोनों को एक साथ धारण करने से पहले विद्वान, सिद्ध पुरुषों और ज्योतिषियों से सलाह लेने को कहा जाता है.  

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