Snowfall in Bihar: बिहार में बर्फबारी का न होना इसके भौगोलिक और मौसमीय कारणों से जुड़ा हुआ है. हालांकि, यह एक दिलचस्प विषय है, क्योंकि भविष्य में जलवायु परिवर्तन के चलते इस क्षेत्र में मौसम में बदलाव की संभावना बनी रहती है.
बिहार उत्तर भारत में स्थित है, लेकिन हिमालय से बहुत दूर है. बर्फबारी का मुख्य कारण ठंडी हवाओं और नमी का मिलकर पहाड़ों से गिरना होता है. बिहार की स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां हिमालय की ठंडी हवाएं सीधे पहुंच सकें, जिससे बर्फबारी हो.
बिहार समुद्र से काफी दूर है. समुद्र से आने वाली नमी वाली हवाएं बर्फबारी का कारण बनती हैं. चूंकि बिहार के पास कोई समुद्र नहीं है, इसलिए यहां नमी का वह स्तर नहीं बन पाता, जो बर्फबारी के लिए जरूरी है.
वैश्विक तापमान में वृद्धि और मौसम के पैटर्न में बदलाव ने भी इस तरह के मौसमी बदलावों को प्रभावित किया है. बिहार में अब सर्दी का प्रभाव पहले जैसा नहीं रहता और बर्फबारी जैसी घटनाएं बहुत कम हो पाती हैं.
बिहार में पश्चिमी और दक्षिणी हवाएं प्रबल होती हैं, जबकि बर्फबारी के लिए पूर्वी या उत्तर-पूर्वी हवाओं की दिशा जरूरी होती है. इस कारण भी बर्फबारी का होना असंभव हो जाता है.
बर्फबारी के लिए ऊंचाई भी जरूरी है. पहाड़ी इलाकों में तापमान बहुत कम होता है, जबकि बिहार में कोई बड़ी पहाड़ी नहीं है. यहां की ज़मीन का उचाई स्तर बर्फबारी के लिए उपयुक्त नहीं है.
बिहार में गर्मियों का मौसम बहुत लंबा और तेज होता है. इससे आसपास के वातावरण में नमी की कमी हो जाती है, जो बर्फबारी के लिए आवश्यक है.
बिहार में हवा का दबाव अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के मुकाबले कम होता है, जिससे बर्फ बनने के लिए जरूरी ठंडी हवा नहीं बन पाती.
जलवायु परिवर्तन के कारण अब बिहार में सर्दियां पहले जैसी सर्द नहीं रहतीं. तापमान में वृद्धि और मौसम के पैटर्न में बदलाव ने इस क्षेत्र को और भी गर्म बना दिया है, जिससे बर्फबारी की संभावना और भी कम हो गई है.
बिहार में सर्दियों में हल्की बारिश होती है, लेकिन यह बारिश बर्फ नहीं बनती. बारिश की जगह बर्फबारी होने के लिए और अधिक ठंडी और आर्द्रता की जरूरत होती है, जो यहां नहीं मिल पाती.
हालांकि, कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण पाया जाए और वातावरण में सुधार हो, तो भविष्य में बिहार में बर्फबारी जैसी घटनाओं का अनुभव किया जा सकता है.
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