World AIDS Day 2025: विश्व एड्स दिवस लोगों को इस बीमारी को लेकर शिक्षित करता है. एड्स पीड़ितों तक लाइफ सेविंग ड्रग्स तक पहुंच सुनिश्चित करता है और एचआईवी से पीड़ित लोगों के खिलाफ भेदभाव को खत्म करता है.
एड्स से हर साल दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हो जाती है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में दुनियाभर में एचआईवी से संबंधित बीमारियों से लगभग 6.30 लाख लोगों की मौत हो गई. साल 2004 की तुलना में ये 69% जरूर कम है, जब 2.1 मिलियन (21 लाख) लोगों की मौत हुई थी.
बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्मों का निर्माण किया है, जो एड्स पर खुलकर बात करती हैं. ये फिल्में न केवल मरीजों की संवेदना को छूती हैं, कई मिथकों को भी तोड़ती नजर आती हैं. इन फिल्मों में एड्स मरीजों के दर्द को दिखाने की कोशिश की गई है.
'प्यार में कभी कभी' साल 1999 में रिलीज हुई थी. फिल्म भले ही पूरी तरह से एड्स पर नहीं थी, लेकिन कहानी में शानदार तरीके से एड्स की समस्या को दिखाया गया है. इस फिल्म के नायक को ही एड्स हो जाता है और पूरी कहानी एक अलग दिशा में मुड़ जाती है. फिल्म में डिनो मोरिया के साथ लीड रोल में रिंकी खन्ना और संजय सूरी हैं.
सलमान खान, शिल्पा शेट्टी और अभिषेक बच्चन स्टारर फिल्म 'फिर मिलेंगे' साल 2004 में रिलीज हुई थी. फिल्म का विषय वास्तव में शानदार कहा जा सकता है. रेवती मेनन के निर्देशन में बनी फिल्म में एड्स को न केवल एक समस्या के रूप में बल्कि उससे लड़ने, जागरूकता और समाज के योगदान को शानदार अंदाज में दिखाया गया.
साल 2005 में रिलीज 'माई ब्रदर निखिल' एड्स पर बनी फिल्म है. इममें लीड रोल अभिनेत्री जूही चावला के साथ संजय सूरी और पुराब कोहली ने प्ले किया था. फिल्म का निर्देशन ओनिर ने किया है.
डॉक्टरों के अनुसार, ये वायरस असुरक्षित यौन संबंध, ब्लड ट्रांसफ्यूजन और एक ही सिरिंज के इस्तेमाल से होता है. एड्स और एचआईवी दोनों अलग-अलग हैं. सही समय पर इलाज मिलने से एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को एड्स से बचाया जा सकता है.
अगर गर्भवती महिला में एचआईवी संक्रमण का पता चलता है, तो उसे दवाइयां देकर बच्चे को संक्रमण से सुरक्षित किया जा सकता है. भारत में अगर किसी व्यक्ति को एचआईवी के लक्षण दिखते हैं तो वह सरकारी अस्पताल जाकर अपना टेस्ट करा सकता है.
देश में एचआईवी का टेस्ट और इलाज गोपनीय रखा जाता है. रिसर्च से पता चलता है कि एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी की मदद से लंबे और स्वस्थ जीवन जी सकता है. सरकारी अस्पतालों में एचआईवी की जांच से लेकर दवाएं सब बिलकुल फ्री है.
एचआईवी के लिए एआरटी दवाएं दी जाती हैं. इनको खाने से मरीज का वायरस लोड कम होता है.
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