अगर आप सोने के गहने खरीदते हैं तो इसके लिए आपको 5 से 30 फीसदी तर मेकिंग चार्ज देना पड़ता है. वहीं जब आप एक्सचेंज या गोल्ड ज्वेलरी बेचेंगे तो आपका मेकिंग चार्ज का अमाउंट वापस नहीं होगा. दूसरी तरफ वहीं सोने का सिक्का या बिस्किट खरीदने पर आपको कई मेकिंग या अन्य चार्ज नहीं देना पड़ता है.
ज्वेलरी का डिजाइन बनाने में नग, मोती, डायमंड या अन्य तरह के धातु का भी इस्तेमाल होता है. जिसका वजन भी सोना खरीदते समय जुड़ा रहता है. लेकिन जब इसे बेचने जाएंगे तो आपको सिर्फ गोल्ड का कीमत मिलेगा. दूसरी तरफ सोने का सिक्का या बिस्किट खरीदने में आपको नग और अन्य रत्नों का एक्स्ट्रा खर्च नहीं देना होता है.
गोल्ड खरीदते समय उसकी शुद्धता के लिए कैरेट पर खासा ध्यान देना होता है. ज्वेलरी के लिए 14 से 22 कैरेट के सोने का इस्तेमाल होता है. वहीं प्योर गोल्ड 24 कैरेट का होता है. ऐसे में ज्वेलरी बेचते समय आपको कैरेट के अनुसार ही दाम दिया जाता है. वहीं सोने के सिक्के के ऐसा नहीं होता है.
अगर आप किसी को गोल्ड गिफ्ट करने के बारे में सोच रहे हैं तो ज्वेलरी की जगह सिक्का बेस्ट हो सकता है. क्योंकि अगर आप किसी को ज्वेलरी करते हैं तो कई बार ऐसा होता है कि उसे उसका डिजाइन पसंद नहीं आता. इसके जगह पर आप सोने का सिक्का देते हैं तो वो शख्स अपनी पसंद का ज्वेलरी बना सकता है.
छोटे दुकानदार या ज्वेलर आम तौर पर कैरेट में घपले बाजी करते हैं वो 18 या 14 कैरेट के गोल्ड को 22 कैरेट का बताकर बेच देते हैं. वहीं सोने के बिस्किट में ऐसा बिलकुल नहीं होता है. क्योंकि सोने का बिस्किट 24 कैरेट का बना होता है साथ ही इस पर हॉलमार्क का निशान भी होता है.
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