केन्द्रीय कर्मचारियों को मोदी सरकार ने बड़ा झटका दिया है. वित्तसचिव टीवी सोमनाथन के एक बयान ने करीब 48.67 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनभोगियों की उम्मीदों को तोड़ दिया.
हालांकि, बीजेपी ने इस तरह के कदम से परहेज किया है. इसके बजाय नई पेंशन योजना की समीक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है, जो नए राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए विवाद का विषय बन गई है.
7वां वेतन आयोग राज्य और आम चुनावों से कुछ महीने पहले सितंबर 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने स्थापित किया था.
दरअसल, चुनावों से पहले सरकारों ने केंद्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र बलों के कर्मियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों को लुभाने के लिए वेतन आयोग का गठन करती थी.
बता दें कि सरकार ने समीक्षा के लिए वित्त सचिव के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है. सोमनाथन ने कहा कि हमने सभी पक्षों के साथ सलाह मसौरा पूरा कर लिया है और हमारी रिपोर्ट जल्द ही सौंपी जानी चाहिए.
सोमनाथन ने 1 दिसंबर, 2023 दिन गुरुवार को कहा कि आठवें वेतन आयोग के गठन के बारे में कोई योजना नहीं है. फिलहाल इसकी कोई तारीख नहीं है.
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि केंद्र सरकार की अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले आठवां वेतन आयोग गठित करने की कोई योजना नहीं है.
वर्तमान योजना के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत योगदान करते हैं, जबकि सरकार 14 प्रतिशत का भुगतान करती है. यह देश में सियासी रूप से विवादास्पद हो गया है. कई विपक्षी शासित राज्य पुरानी पेंशन योजना पर स्विच कर रहे हैं जो पेंशनभोगियों को उनके अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत मासिक गारंटी देता है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़