Ekadashi Vrat Paran: आने वाली 3 मार्च को एकादशी तिथि है. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तो आमलकी एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी पापनाशिनी और मोक्षदायिनी मानी जाती है. एकादशी का व्रत करने में इसके साथ ही पारण का भी बहुत महत्व है.
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पटनाः Ekadashi Vrat Paran: आने वाली 3 मार्च को एकादशी तिथि है. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तो आमलकी एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी पापनाशिनी और मोक्षदायिनी मानी जाती है. एकादशी का व्रत करने में इसके साथ ही पारण का भी बहुत महत्व है. सनातन परंपरा में पारण का भी विशेष महत्व और तरीका बताया गया है. अगर इसमें चूक हो जाती है तो एकादशी का फल नहीं मिलता है.
ऐसे होता है पारण
एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं. एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना बहुत जरूरी है. यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है. द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना भी पाप करने के समान होता है.
हरि वासर में न करें पारण
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए. जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए. हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है. व्रत तोड़ने के लिए सबसे सही समय समय प्रातःकाल होता है. व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न (दोपहर) के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए. कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए.
ऐसे लोग करें दूजी एकादशी
कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है. जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए. दूसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं. सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए. जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं.