Chhath Puja 2024: क्यों होती है सूर्य देव और छठी माई की पूजा? जानें महत्व
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Chhath Puja 2024: क्यों होती है सूर्य देव और छठी माई की पूजा? जानें महत्व

Chhath Puja 2024: आचार्य के अनुसार छठ महापर्व का यह अनुष्ठान समाज में एकता, समर्पण और भक्ति का संदेश देता है. यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण की शुद्धता और सामाजिक सद्भाव का भी प्रतीक है.

Chhath Puja 2024: क्यों होती है सूर्य देव और छठी माई की पूजा? जानें महत्व

Chhath Puja 2024: छठ पूजा जिसे छठ महापर्व भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह पर्व सूर्य देव और छठी माई की पूजा के लिए समर्पित होता है. यह चार दिनों तक चलने वाला अनुष्ठान है, जिसे श्रद्धालु बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं. धर्मशास्त्रों के अनुसार इस पूजा को छठी माई पूजा, डाला छठ, सूर्य षष्ठी पूजा और छठ पर्व के नामों से भी जाना जाता है. छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव से परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना होता है.

इस साल कब है छठ महापर्व? 
आचार्य मदन मोहन के अनुसार इस साल 2024 में छठ पूजा नवंबर महीने में मनाई जाएगी. छठ पूजा के चारों दिन निम्न प्रकार से होंगे.

  • नहाय खाय - 05 नवंबर 2024
  • खरना - 06 नवंबर 2024
  • शाम का अर्घ्य - 07 नवंबर 2024
  • सुबह का अर्घ्य - 08 नवंबर 2024

साथ ही षष्ठी तिथि 07 नवंबर 2024 को सुबह 12 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 08 नवंबर 2024 को सुबह 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, इस साल छठ पूजा का मुख्य दिन 07 नवंबर 2024, गुरुवार को होगा.

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?
छठ महापर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव की आराधना करना है. भक्तजन यह पूजा करते हैं ताकि सूर्य देव उनके परिवार को आशीर्वाद दें और सुख-समृद्धि प्रदान करें. इसके साथ ही, संतान के सुखद भविष्य की कामना के लिए भी इस व्रत को किया जाता है. मान्यता है कि छठ पूजा करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त होता है. इसके अलावा, छठ व्रत को मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी रखा जाता है. छठ पूजा में लोग सूर्य देव और छठी माई से अपनी इच्छाओं की पूर्ति और परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं.

इसके अलावा छठ महापर्व का प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व छठ पूजा भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं से जुड़ा एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है. इस त्योहार के माध्यम से लोग अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक जड़ों से जुड़े रहते हैं. यह पर्व पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर भी जोर देता है, क्योंकि भक्त नदियों और तालाबों के किनारे स्वच्छता और शुद्धता के साथ पूजा करते हैं. साथ ही छठ पूजा में कई रीति-रिवाज और अनुष्ठान शामिल होते हैं. भक्त चार दिनों तक उपवास रखते हैं, जल स्रोतों में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं और विशेष प्रसाद बनाकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं. इस पूजा से जुड़ी कई प्राचीन कथाएं भी हैं. उनमें से एक राजा प्रियवंद की कथा है, जिन्होंने छठी माई की पूजा कर संतान सुख प्राप्त किया था. भगवान राम, पांडवों और दानवीर कर्ण से जुड़ी कथाएं भी छठ पूजा के महत्व को दर्शाती हैं.

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