मानवाधिकार आयोग पहुंचा मुजफ्फरपुर का किडनी कांड, आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग
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मानवाधिकार आयोग पहुंचा मुजफ्फरपुर का किडनी कांड, आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग

डॉक्टर पवन कुमार ने महिला के गर्भाशय में ट्यूमर होने की बात कही और 3 सितम्बर को महिला का ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के बाद सुनीता की तबियत बिगड़ने लगी, शरीर में सूजन होने लगी.

मानवाधिकार आयोग पहुंचा मुजफ्फरपुर का किडनी कांड, आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर जिले का चर्चित किडनी कांड का मामला अब मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है. पीड़ित महिला सुनीता देवी के ऑपरेशन के दौरान दोनों किडनी निकालने का मामला प्रकाश में आने के बाद मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं राज्य मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल की है. उन्होंने मामले में संलिप्त आरोपितों की अविलम्ब गिरफ्तारी की मांग की है. जिले के सकरा थाने के बरियारपुर गाँव की निवासी सुनीता देवी को पेट में दर्द था, जिसका ईलाज वहीं पर बरियारपुर के शुभकान्त क्लिनिक पर एक झोलाछाप चिकित्सक डॉक्टर पवन कुमार के द्वारा किया गया. 

3 सितंबर को हुआ ऑपरेशन
डॉक्टर पवन कुमार ने महिला के गर्भाशय में ट्यूमर होने की बात कही और 3 सितम्बर को महिला का ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के बाद सुनीता की तबियत बिगड़ने लगी, शरीर में सूजन होने लगी. तब जाकर महिला के परिजनों के द्वारा मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में सुनीता का सीटी स्कैन कराया गया, जिसकी रिपोर्ट में दोनों किडनी दिखाई नहीं दी. उक्त महिला का ऑपरेशन के दौरान किडनी गायब होने की एफआईआ के बाद प्रशासनिक अधिकारी सकते में आये और जाँच शुरू हुई, तब मालूम चला कि उक्त क्लिनिक सरकार के मानदंड के अंतर्गत कार्य नहीं कर रही हैं. इधर पीड़ित महिला को मुज़फ़्फ़रपुर के SKMCH से इलाज के लिए पटना के आईजीआईएमएस भेजा गया है. 

ऑपरेशन लायक था ही नहीं अस्पताल
वहीं इस चर्चित किडनी कांड को लेकर मंगलवार को सिविल सर्जन उमेश चंद्र शर्मा शुभकांत क्लीनिक की जांच करने पहुंचे.  उन्होंने कहा कि यह जगह किसी भी एंगल से ऑपरेशन करने लायक नहीं है. यहां तो शरीर के बाहर  भी किसी अंग का इलाज नहीं हो सकता है. पेट खोलकर इलाज करना तो बहुत दूर की बात है. एक दिन पहले इस अस्पताल की जांच करने SSP जयंतकांत पहुंचे थे. उन्हें भी इसी तरह के हालात मिले थे. यहां सिर्फ चौकी रखी हुई थी. इसपर ही मरीजों को सुलाकर ऑपरेशन से लेकर इलाज किया जाता था. सिविल सर्जन के साथ अन्य मेडिकल अधिकारियों की टीम भी थी. 

 

 

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