इस गांव में 5000 लोगों की आबादी के बीच बना प्राथमिक स्वास्थ्य व उपकेंद्र विभागीय लापरवाही की दंश झेल रहा है. यहां करोड़ों रुपए की लागत से बना यह स्वास्थ केंद्र आज खुद ही अस्वस्थ महसूस कर रहा है.
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नालंदा: नालंदा ज़िला इनदिनों अपने कारनामों को लेकर काफ़ी सुर्खियों में है. फिर चाहे बात शिक्षा के क्षेत्र में हो या स्वास्थ के क्षेत्र में हो. सभी में जिला फिसड्डी साबित हो रहा है. ताज़ा मामला बिहार शरीफ़ मुख्यालय से महज 8 किमी दूर डुमरावां गांव का है. जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ग्रामीण विकास कार्य मंत्री श्रवण कुमार के गृह क्षेत्र का है. इस गांव में बना प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र खुद ही बीमार है, आलम यह है कि भवन खंडहर हो चला है और यहां मवेशियों का जमावड़ा लगता है.
5000 लोगों की आबादी के बीच बना स्वास्थ्य केंद्र
इस गांव में 5000 लोगों की आबादी के बीच बना प्राथमिक स्वास्थ्य व उपकेंद्र विभागीय लापरवाही की दंश झेल रहा है. यहां करोड़ों रुपए की लागत से बना यह स्वास्थ केंद्र आज खुद ही अस्वस्थ महसूस कर रहा है. और सरकार से बेहतरी के लिए गुहार लगा रहा है. स्थानीय लोगों की मानें तो यह क़रीब 6 वर्ष पहले बना था. जिससे कि गांव के लोगों को स्वास्थ सुविधा उपलब्ध कराया जाए. लेकिन स्वास्थ विभाग की अनदेखी की वजह से यहां के भवन की जर्जर स्थित देख यह स्वास्थ केंद्र आज मवेशी और उसके चारा रखने का जगह बन गया है.
ग्रामीणों को मुश्किलों का करना पड़ता है सामना
मवेशी रखे जाने से यहां ग्रामीणों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. यहां के ग्रामीण बताते हैं कि चुनाव के वक्त नेताओं ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही इसे बना दिया जाएगा. लेकिन विभागीय उदाशीनता की भेंट चढ़ गया है. यह अस्पताल फिलहाल एक ANM के सहारे जर्जर भवन में चल रहा है. जो सिर्फ़ सर दर्द और बुखार की दवा देती हैं. यहां डॉक्टर आते ही नहीं हैं. वहीं, इस मामले में वहां मौजूद ANM अंजनी कुमारी ने बताया कि यहां कोई सुविधा नहीं है, जरूरी चीजों के लिए हमें बाहर जाना पड़ता है. मवेशी रखे जाने और अव्यवस्था को लेकर अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.