व्यासपुर से बिलासपुर तक का सफर, जानिए एक ऐतिहासिक परिवर्तन की कहानी

Raj Rani
Feb 27, 2025

व्यासपुर का नाम महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास से जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि वेदव्यास ने इस क्षेत्र में ध्यान और साधना की थी इसलिए इसे व्यासपुर कहा जाता था.

1663 में राजा बीर चंद के शासन में यह क्षेत्र समृद्ध हुआ. उन्होंने इसे एक विकसित नगर में तब्दील किया और यहीं से नगर का और भी महत्वपूर्ण इतिहास जुड़ा.

बाद में राजा बिलास सेन के नाम पर इस क्षेत्र का नाम बदलकर बिलासपुर रखा गया. राजा बिलास सेन के योगदान के कारण यह नाम लोकप्रिय हुआ.

इस क्षेत्र पर मुगलों का भी प्रभाव था और बाद में यह ब्रिटिश शासन के तहत आ गया लेकिन इस बीच बिलासपुर अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखे हुए था.

1954 में भाखड़ा नांगल बांध बनने के बाद पुराना बिलासपुर जलमग्न हो गया. इस बदलाव ने पूरी तरह से क्षेत्र की तस्वीर को बदल दिया.

पुराने बिलासपुर के डूब जाने के बाद सरकार ने इसे नए स्थान पर ऊंचाई पर फिर से बसाया. यही वर्तमान बिलासपुर है जो आज एक प्रमुख शहर है.

आज के बिलासपुर में गोबिंद सागर झील धार्मिक स्थल जैसे नैना देवी मंदिर और व्यास गुफा प्रमुख आकर्षण हैं.

बिलासपुर अब पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन चुका है जहां हर साल भारी संख्या में लोग आते हैं. इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण इसे पसंद किया जाता है.

1954 में हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बनने के बाद बिलासपुर ने राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और आज यह एक प्रमुख प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है.

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