ठंडा प्रदेश माना जाने वाला हिमाचल प्रदेश में आगजनी की घटनाएं निरंतर बढ़ती ही जा रही है. गर्मियों के मौसम में यहां करोड़ों की वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है. कई जीव जंतु अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं.
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चंडीगढ़- हिमाचल प्रदेश में गर्मी बढ़ते ही वनों में आग लगने के मामलों में भी इजाफा हो गया है. पहाड़ों के जंगलों में आग लगना मानों एक परंपरा सी बनती जा रही है.
ठंडा प्रदेश माना जाने वाला हिमाचल प्रदेश में आगजनी की घटनाएं निरंतर बढ़ती ही जा रही है. गर्मियों के मौसम में यहां करोड़ों की वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है. कई जीव जंतु अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं.
मीलों दूर के जंगल भी आग की चपेट में आ जाते हैं. यह सिलसिला जब शुरू होता है तो फिर मई-जून में बारिश होने के बाद ही जाकर थमता है.
अब तक कई हेक्टेयर वन संपदा आग की भेंट चढ़ चुकी है. तेज गर्मी से जंगल वक्त से पहले ज्यादा सूख जाते हैं. सूखे जंगलों में अवैध गतिविधियों से भी आग की संभावनाएं ज्यादा बढ़ जाती हैं. बड़ी बात यह है कि जंगलों में आग लगने का सिलसिला अभी भी जारी है.
तेज हवा और जंगल में सूखे पत्तों और लकड़ियों के कारण आग धीरे-धीरे उन जंगल तक पहुंच रही है जहां जंगली जानवरों का बसेरा है.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हिमाचल प्रदेश के जंगलों में आग की रोजाना तकरीबन 15 घटनाएं सामने आ रही हैं.
चलिए अब आंकड़ों में नजर डालते है.
एक रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में पिछले साल यानी 2021 में 1223 आग की घटनाएं सामने आई हैं. पिछले कुछ वर्षां में आगजनी की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वन विभाग के आंकडों के अनुसार जहां वर्ष 2015-16 में 672(बहत्तर) घटनाओं में 5,750 हैक्टेयर वन भूमि को क्षति पहुंची थी, वहीं वर्ष 2016-17 में 1,832 आग की घटनांए दर्ज की गई थी.
इसी तरह 2017-18 में 1,164 (चौंसठ)और 2019-20 में 1,445 और 2020-21 में 1,027 घटनाएं दर्ज की गई थी. हाल के वर्षों में जंगलों में लगने वाली आग की घटनाएं काफी ज्यादा तेजी से बढ़ी हैं. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि 2050 तक ऐसी घटनाएं खतरनाक स्तर तक पहुंच जाएंगी....
वन विभाग के मुताबिक, चिंता की बात ये हैं कि अभी मई की शुरूआत हुई है और जून तो आया ही नहीं है. ये महीने आग के मामले में सबसे ज्यादा खतरनाक माने जाते हैं...