नई दिल्लीः सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) मौजूदा नीतियों से खुश नहीं है. सूत्रों ने कहा है कि देश में अक्टूबर में होने वाले आम चुनावों से पहले पीपीपी अलग होने की तैयारी में है.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि पीपीपी पंजाब में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) विरोधी भावनाओं को भुनाना चाहती है, जो सबसे अधिक आबादी वाला प्रांत है, जिसकी चुनावी जीत यह तय करती है कि देश पर शासन कौन करेगा. पीपीपी 2023-24 के संघीय बजट के पारित होने के बाद गठबंधन छोड़ने की घोषणा कर सकती है.
जानिए क्या है समीकरण
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने पार्टी नेताओं के साथ परामर्श शुरू कर दिया है.
सिंध प्रांत के पीपीपी द्वारा नियुक्त मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने बुधवार को प्रांतीय विधानसभा सत्र के दौरान कहा कि संघीय सरकार ने पिछले साल की बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए आवंटन बढ़ा दिया है.
लेकिन, पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी और सिंध सरकार अभी भी संतुष्ट नहीं है. केंद्र को सिंध के बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए और अधिक धन उपलब्ध कराना चाहिए.
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जबकि, 17 जून को स्वात में एक रैली को संबोधित करते हुए शहबाज सरकार में विदेश मंत्री बिलावल ने अपनी ही सरकार पर प्रस्तावित बजट में, पिछले साल की विनाशकारी बाढ़ का खामियाजा भुगतने वाले प्रांतों की, पूरी तरह से अनदेखी करने का आरोप लगाया था.बता दें कि पाकिस्तान में कई दिनों से सियासी संकट जारी है.
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