नई दिल्ली: उन दिनों को बीते अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है जब चीन और भारत सीमाओं पर एक दूसरे के सामने खड़े थे. हालांकि, अब चीन, भारत के साथ अपने संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए तैयार नजर आ रहा है. इसे लेकर चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने खुलकर बात की है. उन्होंने मंगलवार को कहा कि भारत और चीन के संबंध सुधार के चरण में प्रवेश कर रहे हैं और दोनों देशों के बीच रिश्ते वैश्विक स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक हैं. एक इवेंट में अपने संबोधन में शू ने यह भी कहा कि हाल में विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता और दोनों पक्षों के बीच विदेश सचिव-उपमंत्री तंत्र के तहत हुई बातचीत से सीमा के मुद्दे पर साझा समझ विकसित हुई है और संबंधों को फिर से मजबूत करने के अवसर पैदा हो रहे हैं.
LAC पर गतिरोध को समाप्त करने की बनी थी सहमति
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए पिछले वर्ष ही बनी सहमति के बाद नई दिल्ली और बीजिंग द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया में हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बीते 18 दिसंबर को बीजिंग में 23वीं विशेष प्रतिनिधि वार्ता का आयोजन किया था. इसके कुछ सप्ताह बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री चीन की राजधानी गए और उन्होंने अपने चीनी समकक्ष सुन वेइदोंग के साथ विदेश सचिव-उपमंत्री तंत्र के तहत वार्ता की.
कई आम सहमतियां बनीं
शू ने बताया, 'चीन-भारत सीमा प्रश्न पर 23वीं विशेष प्रतिनिधि बैठक और उप विदेश मंत्री-विदेश सचिव वार्ता बीजिंग में सफलतापूर्वक आयोजित हुई और सीमा प्रश्न और व्यावहारिक सहयोग पर कई आम सहमतियां बनीं.' उन्होंने आगे कहा, 'इससे चीन-भारत संबंधों को फिर से आरंभ करने का एक महत्वपूर्ण अवसर पैदा होता है और दोनों देशों के युवाओं के बीच आदान-प्रदान और सहयोग के लिए एक व्यापक मंच उपलब्ध होता है.
विस्तार से नहीं की बात
हालांकि, तीसरे ‘चीन-भारत युवा संवाद’ के दौरान शू ने इस वार्ता के विशिष्ट परिणामों के बारे में विस्तार से नहीं बताया. उन्होंने कहा, 'चीन-भारत संबंध विश्व में सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक हैं. एक सुदृढ़ और स्थिर चीन-भारत संबंध दोनों देशों की जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को पूरा करता है.'
अवसर के रूप में देखें
शू ने कहा कि दोनों पक्षों को दोनों देशों के नेताओं द्वारा बनाई गई महत्वपूर्ण सहमति को लागू करना चाहिए, एक-दूसरे के मूल हितों का सम्मान करना चाहिए तथा एक-दूसरे के विकास को अवसर के रूप में देखना चाहिए. इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान और यात्राओं को प्रोत्साहित करना चाहिए. राजदूत ने कहा, 'चीन-भारत संबंध सुधार के चरण में प्रवेश कर रहे हैं. हम इस वर्ष राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे.'
कजान में हुई थी वार्ता
भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख के अंतिम 2 टकराव बिंदुओं, देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी के लिए एक समझौते को अंतिम रूप देने के बाद पिछले साल के अंत में वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली थी. समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के दो दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 23 अक्टूबर को कजान में वार्ता की. बैठक में दोनों पक्षों ने विभिन्न वार्ता तंत्रों को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया. भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते.
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