Nuclear bomb on Moon: मनुष्यों को चंद्रमा पर भेजने की प्रेरणादायक बात कहने से बहुत पहले, अमेरिकी खुफिया समुदाय एक बहुत ही अलग योजना बना रहा था. चंद्रमा पर उतरना तो विकल्प B था, विकल्प A तो उस पर परमाणु बम विस्फोट करना था.
दरअसल, 1950 के दशक में सोवियत यूनियन अंतरिक्ष में सफलता प्राप्त कर रहा था तो आगे बढ़ने की होड़ में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने ऐसी परियोजना बनाई, जिसमें चांद पर परमाणु विस्फोट करना होता और इसका मकसत सोवियत यूनियन को डराना था.
अमेरिका के गुप्त अभियान का कोड नाम प्रोजेक्ट ए119 था. अगर यह योजना आगे बढ़ती तो 'चंद्रमा पर निशाना साधना' की अभिव्यक्ति को एक नया अर्थ मिल जाता.
इतिहासकार विंस ह्यूटन का कहना है कि जो बात अब अकल्पनीय लगती है, वह केवल शीत युद्ध के संदर्भ में ही सार्थक लगती है. 1950 के दशक के अंत तक लौह परदा के दोनों ओर व्यामोह और अविश्वास चरम पर पहुंच गया था, और सैन्य वर्चस्व की होड़ आम बात हो गई थी.
संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके कट्टर दुश्मन सोवियत संघ वैश्विक वर्चस्व के लिए होड़ में आमने-सामने थे.
1956 में, पश्चिमी राजदूतों की एक सभा को संबोधित करते हुए, सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव ने घोषणा की, 'चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं, इतिहास हमारे पक्ष में है. हम आपको दफना देंगे!'
वाशिंगटन में अंतर्राष्ट्रीय जासूस संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. ह्यूटन कहते हैं, 'ये ऐसे समय थे जब हताशा ने हमारे निर्णय लेने में भूमिका निभाई.'
'हम - संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, मित्र राष्ट्र - अपने अस्तित्व के लिए एक खतरे का सामना कर रहे हैं. और जब ऐसा होता है, तो आप ऐसे निर्णय लेते हैं जो आप किसी अन्य परिस्थिति में नहीं ले सकते.'
अक्टूबर 1957 में स्थिति तब और खराब हो गई जब सोवियत संघ ने विश्व का पहला उपग्रह स्पुतनिक सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया.
इसने दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया. यह न केवल एक महान तकनीकी उपलब्धि थी, बल्कि इसका उद्देश्य रूसी श्रेष्ठता का प्रतीक था. डॉ. ह्यूटन कहते हैं, 'अमेरिकी और पश्चिमी देश इस अवधारणा से भयभीत थे कि संभवतः सोवियत संघ ने हमें हमारे ही खेल में हरा दिया है.'
'हम हमेशा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़े खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने नई और अभिनव चीजों का आविष्कार किया है. अचानक सोवियत संघ ने हमें अंतरिक्ष में हरा दिया.'
प्रोजेक्ट A119 का जन्म
खतरे की भावना को दोगुना करने वाला तथ्य यह था कि स्पुतनिक को मूल रूप से एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल पर कक्षा में लॉन्च किया गया था. डॉ. ह्यूटन कहते हैं, 'स्पुतनिक के लॉन्च से पश्चिम को झटका लगा और बहुत जल्दी अमेरिकी सरकार ने कार्रवाई की और कहा कि हमें कुछ बहुत शानदार करने की जरूरत है.' 'हमें कुछ ऐसा बड़ा करने की जरूरत है जिससे पूरी दुनिया को पता चले कि यह सिर्फ एक विसंगति थी, कि स्पुतनिक सिर्फ एक झलक थी, कि संयुक्त राज्य अमेरिका अभी भी ब्लॉक का बड़ा खिलाड़ी है.' और इसके साथ ही, प्रोजेक्ट A119 का जन्म हुआ.
हालांकि, चांद पर हमले को लेकर कई सिद्धांत हैं, लेकिन सोचने वाली बात ये है कि आज जब लोग चांद पर कदम रखते हैं वो हमले के बाद कैसा होता? परमाणु हमले के कारण इसका वातावरण जहरीला होता तो क्या होता?
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