इस रियासत की मुराद पूरी होती तो मानचित्र में पूर्वी और पश्चिमी हिंदुस्तान होते

दिलचस्प बात यह है कि रियासतों के विलय के समय कई बार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती थी कि उसका समाधान करना टेढ़ी खीर साबित होता था.

Written by - Shubham Pandey | Last Updated : Oct 26, 2021, 10:13 PM IST
  • बंटवारे के बाद अलग-अलग रियासतें भारत-पाक में शामिल हुईं
  • रियासतों के रवैये के चलते पाकिस्तान दो भागों में बंटा हुआ था
इस रियासत की मुराद पूरी होती तो मानचित्र में पूर्वी और पश्चिमी हिंदुस्तान होते

नई दिल्लीः 26 अक्टूबर 1947, यह वही दिन था, जब जम्मू-कश्मीर ने भारत में अपना विलय किया था. हालांकि, कश्मीर का विलय बंटवारे के समय नहीं हुआ था, बल्कि उसके कुछ समय बाद हुआ.

अगस्त 1947 में बंटवारे के समय कई रियासतों ने भारत में आना स्वीकार किया था, तो कई पाकिस्तान के साथ चली गई थीं. रियासतों के अलग-अलग रवैये के चलते उस समय पाकिस्तान दो भागों में बंटा था. पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान).

रियासतों ने पैदा की अजीबोगरीब स्थिति

दिलचस्प बात यह है कि रियासतों के विलय के समय कई बार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती थी कि उसका समाधान करना टेढ़ी खीर साबित होता था. अक्सर लोगों को कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद रियासत के बारे में किस्से सुनने को मिलते हैं, लेकिन तब एक रियासत ऐसी थी, जिसकी मुराद अगर पूरी हो गई होती तो दुनिया के मानचित्र में हमें भी पूर्वी हिंदुस्तान और पश्चिमी हिंदुस्तान देखने को मिलते.

भारत ने कलात का आवेदन किया खारिज

दरअसल, आजादी के समय आज के बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में कलात नाम की रियासत हुआ करती थी. इसके शासक ने भारत के साथ विलय करने का फैसला किया था. वह पाकिस्तान के साथ न जाकर भारत के साथ आना चाहता था. लेकिन भारत सरकार ने उनके आवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया था कि भारत के साथ उसकी भौगोलिक समीपता नहीं है.

भौगोलिक सीमाएं मिलना था जरूरी

कलात के शासन ने यह भी दलील दी कि अगर पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान हो सकता है, तो मेरी रियासत पश्चिमी हिन्दुस्तान क्यों नहीं ?

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भारत सरकार ने फिर भी यह कहकर खारिज कर दिया कि पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान का गठन इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के तहत ब्रिटिश इंडिया के प्रत्यक्ष नियंत्रण वाले इलाकों पर हुआ था और कलात की भौगोलिक सीमाएं भारत के साथ नहीं मिलती. इससे यह भी पता चलता है कि रियासतों के विलय में उनकी भौगोलिक सीमाएं और शासक की सहमति आवश्यक थी.

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