नई दिल्ली: सुशांत के हत्यारों का सच सामने आकर रहेगा, क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की आरोपी नंबर 1 रिया चक्रवर्ती का असली चेहरा हर किसी के सामने आ चुका है. इस बीच ममता दीदी के गढ़ माने जाने वाले पश्चिम बंगाल में सियासी पार्टियों ने रिया चक्रवती के बंगाली होने के मुद्दे को हवा दे दिया है.
सियासत के लिए रिया को बचाने वाली साजिश
राजनीति बड़ी गंदी चीज है, वो कहते हैं न कि सियासत में कुछ भी संभव है. सुशांत केस में ऐसा ही मोड़ आ चुका है. जहां कुछ सियासी पार्टियों ने रिया को बचाकर अपनी राजनीति चमकाने का प्लान बना रही हैं. दीदी की फौज भी ऐसी ही हरकत कर रही है. कुछ नेताओं ने ये आरोप लगा दिया है कि बीजेपी बंगाल और बंगालियों को आसानी से निशाना बनाती है. कुछ इसी तरह से अभियान रिया के खिलाफ चलाया गया. और भाजपा रिया को फंसाना चाहती है.
बता दें, सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के बाद बिहार चुनाव में सुशांत का इस्तेमाल किया जा रहा है. सुशांत को न्याय दिलाने के बैनर-पोस्टर तक लगवाए गए हैं. अब रिया की आड़ में बंगाल में भी सियासत चमकाने का सिलसिला तेज हो गया है.
TMC और CPI ने रिया का किया बचाव
पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी कांग्रेस तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी CPI(M) ने अपने तीखे राजनीतिक मतभेदों के बावजूद BJP के खिलाफ एक स्वर में आवाज उठाई है. इन दलों ने आरोप लगाया कि BJP ने बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक बंगाली महिला को "आसान निशाना" बनाकर फायदा उठाने की कोशिश की है.
TMC के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता सौगत राय ने कहा, "मुझे लगता है कि क्योंकि रिया एक बंगाली है, अदालत में दोषी साबित होने से पहले ही वह शोषित है. दुष्प्रचार अभियान एक बार फिर से बंगालियों के प्रति भाजपा की घृणा साबित करता है. हमने असम एनआरसी में भी कुछ ऐसा ही देखा था."
रिया की गिरफ्तारी को बताया "बेतुका"
वहीं पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मादक पदार्थों के आरोपों में रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी को "बेतुका" करार दे दिया. बुधवार को अधीर रंजन ने कहा था, "रिया के पिता सेना के एक अधिकारी रह चुके हैं और उन्होंने देश की सेवा की है. रिया एक बंगाली ब्राह्मण महिला भी हैं; सुशांत को न्याय की व्याख्या, बिहारी के लिए न्याय की व्याख्या नहीं होनी चाहिए."
उन्होंने कई ट्वीट कर कहा था, "रिया के पिता को भी अपने बेटी के लिए न्याय मांगने का हक मिलना चाहिए. किसी भी मामले का मीडिया ट्रायल हमारी न्यायिक व्यवस्था के लिए शुभ नहीं है. सभी को न्याय मिले यही हमारे संविधान का मूल सिद्धांत है."
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बंगाल में सियासतदानों की करतूत को देखकर ये समझना आसान हो जाता है कि विपक्षी दल अपनी राजनीतिक उत्थान के लिए किसी भी हद तक गिर सकते है. भले ही रिया चक्रवर्ती कानूनी शिकंजे में है, उसे बंगाली बताकर लोगों को बांटने की राजनीति शुरू हो चुकी है. जोड़-तोड़ की सियासत में माहिर पार्टियां गुनहगारों को आजकल बंगाली और पंजाबी देखकर समर्थन करने लगी हैं.
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