नई दिल्ली: रविवार को दुनियाभर में वैलेंटाइन डे (Valentine Day) मनाया जाएगा. हिंदुस्तान में इस दिन पर विवाद भी होता है. कई संगठन इसे देश की संस्कृति के खिलाफ मानकर इसका विरोध करते हैं. इस बार भी श्रीराम सेना (Sri Ramsena) और बजरंग दल ने वैलेंटाइन डे (Valentine Day) को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है. इन संगठनों की ओर से अपील की गई है कि सभी लोग वैलेंटाइन डे का बहिष्कार करें.
सार्वजनिक जगहों पर अश्लीलता ठीक नहीं- श्रीराम सेना
गौरतलब है कि हिंदूवादी संगठन श्रीराम सेना ने घोषणा की है कि उसके कार्यकर्ता वेलेंटाइन डे की जगह 14 फरवरी को ‘माता-पिता’ पूजन दिवस मनाएंगे. संगठन की तरफ से कहा गया कि वह कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में अपने सदस्यों की तैनाती करेगा जहां वेलेंटाइन डे के नाम पर सार्वजनिक स्थलों पर “अश्लीलता” की आशंका होगी.
मातृ पितृ पूजन दिवस का होगा आयोजन
श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक ने समाचार एजेंसी से कहा कि हर साल हम पूरे प्रदेश में ‘माता-पिता’ पूजा का आयोजन करते हैं और हम 50 से 60 जगहों पर इस कार्यक्रम का आयोजन करेंगे. उन्होंने बताया कि पब, बार, मॉल, आइसक्रीम पॉर्लर और पार्क जैसी जगहों पर संगठन के स्वयंसेवक रहेंगे जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सार्वजनिक स्थलों पर कोई अश्लीलता नहीं हो.
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उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठन के सदस्य कानून अपने हाथों में नहीं लेंगे और ऐसी घटनाओं को रोकने में पुलिस के साथ मिलकर काम करेंगे.
सांस्कृतिक विरासत को नुकसान
श्रीराम सेना की हुब्बली इकाई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पश्चिमी संस्कृति युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास कर रही है जिसका हमारी अमूल्य विरासत पर विपरीत असर पड़ रहा है और इससे मादक द्रव्य, सेक्स और लव जिहाद आदि का चलन बढ़ रहा है जो अस्वीकार्य है.
राजस्थान की गहलोत सरकार ने वैलेंटाइन डे स्वीकारा
14 फरवरी को प्यार का दिन यानी वैलेंटाइन डे दुनिया भर में मनाया जाता है लेकिन अब राजस्थान में यह राजनीतिक मसला बनकर सामने आया है. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने अपनी विचारधारा के कारण इसे राज्य के स्कूलों में मातृ- पितृ पूजन दिवस के तौर पर मनाने का एलान कर दिया था लेकिन गहलोत सरकार ने इसे बदलकर फिर से वैलेंटाइन डे कर दिया है.
आपको बता दें कि पिछली सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री रहे वासुदेव देवनानी ने इसी दिन को राज्य के स्कूलों में मातृ- पितृ पूजन दिवस के तौर पर मनाने का विधानसभा में ऐलान किया था. इसे लेकर एलान ही नहीं हुआ बल्कि अमल में लाने के लिए आदेश भी जारी किए गए और शिविरा पंचाग में हर साल मनाना भी तय किया गया था.
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