Corona Vaccine: ऑक्‍सफोर्ड के कोरोना टीके के ट्रायल में हुई चूक निकली फायदेमंद

ऑक्सफोर्ड में कोरोना टीके के ट्रायल में हुई चूक वरदान बनी है किन्तु कहीं न कहीं विशेषज्ञों के मन में इस टीके को लेकर एक अनजाना संदेह भी पैदा हो गया है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 26, 2020, 05:48 PM IST
  • नब्बे फीसदी असरदार मानी गई थी
  • हुआ वैक्सीन पर भरोसा कम
  • अंतरिम परिणामों में 70 फीसदी असरदार
Corona Vaccine: ऑक्‍सफोर्ड के कोरोना टीके के ट्रायल में हुई चूक निकली फायदेमंद

नई दिल्ली.  सारी दुनिया को ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की कोरोना वैक्‍सीन (Corona Vaccine) से बड़ी उम्‍मीदें हैं. किन्तु इस वैक्सीन के ट्रायल की शुरुआत में ही एक संदेह विशेषज्ञों के मन में पैदा हो गया है. इस संदेह का कारण ये है कि इस ट्रायल के शुरूआती परिणामों में एक चूक दिखाई दी है जिसके बाद वैक्‍सीन के डेटा को लेकर शक पैदा हो गया है. 

 नब्बे फीसदी असरदार मानी गई थी  

ऑक्सफोर्ड वैक्सीन (Oxford Vaccine) की निर्माता कम्पनी एस्‍ट्राजेनेका ने इसी हफ्ते दावा किया था कि वैक्‍सीन 90% तक असरदार है. किन्तु अब एक चूक की बात कंपनी द्वारा स्वीकार ली गई है. कम्पनी ने माना है कि कुछ लोगों पर दी गई वैक्‍सीन की डोज में गलती हुई थी जिसके कारण वैक्‍सीन की प्रभावोत्‍पादकता के आंकड़ों पर उसका असर देखा गया है. इसके डेटा पर सवाल खड़े हो गए हैं. एक्‍सपर्टस समझ नहीं पा रहे हैं कि ऐडिशनल टेस्टिंग में यह डेटा बरकरार रहेगा या यह और कम हो जाएगा.

हुआ भरोसा कम 

ऑक्फोर्ड कोरोना वैक्सीन के निर्माण से जुड़े चिकित्सा वैज्ञानिकों ने कहा कि एस्‍ट्राजेनेका से हुई चूक के कारण उससे परिणामों पर उनका विश्वास अब पहले की तरह सशक्त नहीं रहा. अगर भारत (India) के नज़रिये से देखा जाये तो भी ये एक महत्वपूर्ण समाचार है क्‍योंकि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया इसी वैक्‍सीन को भारत में लाने की तैयारी में लगी है. अब यदि नाइटेड किंगडम में ट्रायल को लेकर समस्या पैदा हुई तो  'कोविशील्‍ड' नाम से भारत आने वाली इस वैक्सीन की उपलब्धता में विलम्ब हो सकता है.

जारी किये अंतरिम परिणाम 

हाल ही में एस्‍ट्राजेनेका ने ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाई अपनी कोरोना वैक्‍सीन के अंतरिम परिणामों की घोषणा की थी. डोज की स्‍ट्रेन्‍थ के हिसाब से इस वैक्‍सीन की प्रभावोत्पादकता या तो नब्बे फीसदी असरदार या फिर 62% असरदार घोषित की गई थी. इसके निर्माताओं ने औसत के हिसाब से इस वैक्सीन की प्रभावोत्पादकता को 70% माना. किन्तु इसके बाद इस वैक्सीन के आंकड़ों पर प्रश्न खड़े होने प्रारम्भ हो गए. जिस डोज़ के पैटर्न से नब्बे फीसदी तक वैक्‍सीन प्रभावशाली सिद्ध हो रही थी तो  उसमें पार्टिसिपेंट्स को पहले आधी डोज दी गई, फिर महीने भर बाद पूरी दी गई. इस तरह देखा गया कि  दो फुल डोज वाला पैटर्न उतना असरदार सिद्ध नहीं हुआ है.

 

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