नई दिल्ली. दक्षिण कोरिया में अमेरिकी राजदूत की मूंछों ने समस्या पैदा कर दी है. क्या छह इंच की छोटी सी मूछें छह फ़ीट के बड़े से आदमी के लिए समस्या बन सकती हैं?
मूछें बनीं विवाद
दक्षिण कोरिया में अमेरिकन मूछों ने विवाद पैदा कर दिया है. अमेरिका के राजदूत की हैं ये मूछें जिन्होंने अपना अलग अस्तित्व और महत्व स्थापित कर दिया है. जिस वस्तु से विवाद पैदा हो जाए वह बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. दक्षिण कोरिया में अमेरिका के राजदूत की मूछों ने अचानक अपनी खामोशी तोड़ कर विवाद का शोर पैदा कर दिया था.
याद रहेंगी ये मूछें
हैरी हैरिस नाम है इन राजदूत महाशय का जो अमेरिका से इन मूछों को लेकर दक्षिण कोरिया पधारे थे. इतने साल उन्होंने अपने साथ अपनी मूछों की भी इज्जत कराई. और मूछों ने भी उनकी पूरी इज्जत कराई और अपने कारण उनको न कभी किसी विवाद में फंसने दिया था न धर्म संकट में. अब पहली बार ऐसा हुआ कि मामला इतना बढ़ गया कि हैरी हैरिस को सोचना पड़ा कि मूछों को गुड बाय बोलूं या अपनी नौकरी को.
संवेदनशील था मूछों का मामला
जितना संवेदनशील था हैरी हैरिस के लिए अपनी मूछें रखने का मामला उतना ही संवेदनशील था दक्षिण कोरिया में उनके द्वारा ऐसी मूछें रखने का मामला. दरअसल हैरी जापानी माँ और अमेरिकी पिता की संतान हैं और जिस तरह की मूछें उन्होंने रखी हुई थीं वे कोरिया पर शासन करने वाले जापानी समय की याद दिलाती थीं. ख़ास बात ये भी थी कि जापानी औपनिवेशिक काल में साल 1910 से 1945 तक सभी आठों गवर्नर जनरलों की ऐसी ही मूंछें थीं इसलिए समय समय पर हैरी को अपनी मूछों को लेकर व्यंग्य सुनने पड़ते थे.
कटा ली मूछें
हैरी ने अपना बड़ा दिल दिखाया और अपने देश और दक्षिण कोरिया के संबंध अपनी मूछों के कारण खराब नहीं होने दिए और यह कह कर अपनी मूछें कटा लीं कि कोरोना काल में शुरू से ही मास्क पहनते समय उनकी मूछें परेशानी पैदा करती थीं इसलिए उन्होंने अपनी मूछों को शहीद कर दिया. लेकिन आज भी हैरी आइना देखते समय अपनी मूछों को याद करते हैं और मन में सोचते हैं कि - मूछें हों तो हैरी हैरिस जैसी !!