नई दिल्ली. धर्मपरिवर्तन किसी तरह अनुचित नहीं है यदि यह अपनी प्रसन्नता से किया जाए. धर्मपरिवर्तन पाकिस्तान की तरह या नादिर शाह अब्दाली या चंगेज खान और तैमूर लंग की तरह जब तलवार की धार पर कराई जाती है तो यह घृणित अत्याचार है जो भारत के मध्यकालीन इतिहास के पृष्ठों में दर्ज है. इस भूल का सुधर हुआ है राजस्थान के बाड़मेर शहर में और करीब पचास मुस्लिम परिवारों ने स्वेच्छा से हिन्दू धर्म को स्वीकार किया है.
पचास परिवारों ने किया धर्मपरिवर्तन
यह दर्शनीय दृश्य देखा गया राजस्थान के बाड़मेर जिले में जहां के पायला कल्ला पंचयात समिति के मोतीसरा गांव में पचास मुस्लिम परिवारों ने ये ऐतिहासिक भूल सुधार की. मोतीसरा के रहने वाले इन लगभग ढाई सौ मुसलामानों ने स्वेच्छा से घरवापसी की और अपने मूल हिन्दू धर्म को फिर से स्वीकार कर लिया. इन पचास परिवारों के ये ढाई सौ लोग अब मुस्लिम नहीं बल्कि हिंदू नामों से जाने जाएंगे.
''हमें डरा कर बनाया गया था मुसलमान''
मुस्लिम से हिन्दू बने मोतीसरा के हरजीराम ने बताया कि हम तो हिन्दू धर्म से ही ताल्लुक रखते थे लेकिन बरसों पहले मुगलों ने हमारे पूर्वजों को डरा कर के जबरदस्ती मुसलमान बनाया था. उन्होंने आगे कहा कि ये जानने के बाद यहां के मुस्लिम हमसे दूरी बना कर रखते हैं और हमें भी जब इस ऐतिहासिक सच्चाई का पता चला तो कि हम हिन्दू हैं तो हमने फैसला किया कि हमें अपना धर्म फिर से अपना लेना चाहिए.
''परिवारजनों ने दी सहमति''
अन्य मुस्लिम से हिन्दू बने लोगों ने बताया कि यह उनका बहुत सोच समझ कर लिया गया फैसला है. हमने अपने परिवारों से पूरी सहमति ले कर यह फैसला लिया है. इन लोगों ने बताया कि चूंकि हम हिन्दू हैं और हमारे मूल रीति-रिवाज भी हिन्दू धर्म से संबंधित हैं तो हमने हिन्दू धर्म में वापसी करने का मन बना लिया और हमने अपने हिन्दू बन कर अब अपने घरों में हवन यज्ञ आदि किया है और जनेऊ भी धारण किया है.
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