नई दिल्ली: कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच देश में दिनोंदिन कोरोना के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है। महामारी के इस दौर में मरीज इतने ज्यादा संख्या में आते जा रहे हैं कि इलाज के लिए डॉक्टरों की कमी पड़ने लगी है.
ब्यूरोक्रेट्स करेंगे कोरोना मरीजों का इलाज
एक तो पहले ही मरीजों के अनुपात में डॉक्टर कम हैं और कोरोना के संकट काल में ये कमी ज्यादा खलने लगी है. ऐसे में भारत सरकार ने डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए मेडिकल बैकग्राउंड वाले ब्यूरोक्रेट्स की खोज-पड़ताल की जा रही है.
IAS-IPS संभालेंगे अस्पतालों की कमान
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मेडिकल की पढ़ाई कर चुके IAS-IPS और सेंट्रल सर्विस के अफसरों की पहचान की जा रही है. बताया जा रहा है कि कार्मिक मंत्रालय ऐसे ब्यूरोक्रेट्स की लिस्ट तैयार कर रहा है जिनके पास MBBS, पैरा मेडिकल या दूसरी मेडिकल डिग्रियां हैं.
काम आएगी अफसरों की मेडिकल डिग्री
सूत्र बताते हैं कि मेडिकल बैकग्राउंड वाले ऐसे अधिकारियों को कोविड अस्पतालों में तैनात किया जा सकता है. कहा जा रहा है कि मेडिकल डिग्री वाले ऐसे अफसरों को गंभीर इलाज करने का काम नहीं दिया जाएगा. बल्कि इन अधिकारियों को अस्पताल के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी दी जा सकती है.
यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने ज़ी मीडिया से बात करते हुए बताया कि "वो IAS-IPS अधिकारी जो कि मेडिकल की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें वर्तमान परिस्थितियों में अस्पतालों में नियुक्त करने का निर्णय अच्छा है. मैं इसका स्वागत करता हूं. ये युद्ध की स्थिति है और युद्ध की स्थिति में इस प्रकार के निर्णय लेने ही चाहिएं ताकि राष्ट्र और समाज की सेवा की जा सकती है."
अस्पतालों में सेवा देंगे देश के नौकरशाह
डॉक्टरी की पढ़ाई कर कुछ लोग हर साल IAS-IPS-IFS-IRS समेत दूसरी केंद्रीय सेवाओं के लिए चुने जाते हैं. हालांकि ऐसे ब्यूरोक्रेट्स की सेवा अस्पतालों में लिए जाने की सरकारी सुगबुगाहट मेडिकल एसोसिएशन कतई इत्तेफाक नहीं रखता.
वहीं दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) के पदाधिकारी डॉ अजय बेदी ने कहा कि "IAS, IPS, IRS और दूसरी सेवाओं में गए डॉक्टर्स की संख्या कितनी होगी? मुझे नहीं लगता कि पूरे भारत में 100 से ज्यादा ऐसे डॉक्टर्स होंगे. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और राज्यों में इसकी ब्रांच से सरकार बाते तो तो मुझे पक्का विश्वास है कि डॉक्टर्स की कमी भी पूरी हो जाएगी. साथ ही साथ मरीजों का इलाज भी बहुत अच्छी तरफ से किया जा सकेगा."
भारत में डॉक्टरों की कमी है बड़ी मुसीबत
WHO के मुताबिक, हर हजार मरीज पर एक डॉक्टर होना चाहिए. लेकिन भारत में फिलहाल 1 हजार 445 मरीजों पर एक डॉक्टर हैं. देश में प्रैक्टिस करने वाले एलोपैथी डॉक्टर्स 9 लाख 20 हजार है. वहीं डेंटिस्ट करीब 2 लाख हैं. आयुर्देविक, यूनानी, होम्योपैथी यानी AYUSH डॉक्टर्स की संख्या 6 लाख है. भारत में नर्सों की कुल संख्या 15.5 लाख है. वहीं नर्स एसोसिएट्स साढ़े सात लाख हैं. हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की संख्या करीब 7 लाख है.
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ये आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि किस तरह से हेल्थ सेक्टर में प्रोफेशनल्स की कमी है. कोरोना के इस दौर में जब सबसे ज्यादा जरूरत डॉक्टर्स की है तो ये अच्छा आइडिया है कि डॉक्टरी छोड़कर ब्यूरोक्रेसी में बिजी देश के अफसर कुछ समय के लिए फिर से डॉक्टर्स वाला सफेद कोट पहन लें.
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