पंजाब: 2024 के चुनाव में कैसी रहेगी आप-कांग्रेस की हालत, ऑर्डिनेंस के मुद्दे पर बढ़ेगी दरार?

एक एक्सपर्ट के मुताबिक आप और कांग्रेस के बीच दिल्ली में नौकरशाहों पर नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश पर दरार और बढ़ गई है. चूंकि राज्य 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटों पर कब्जा करके राज्य में सात दशकों से अधिक समय तक शासन करने वाले पारंपरिक खिलाड़ियों को परास्त करने वाली आप की 15 महीने की सरकार ने सभी प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त बना ली है. अब भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार के सभी विपक्ष के साथ तीखे मतभेद हैं. ये विपक्षी पार्टियां हैं - कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद).

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 25, 2023, 12:11 PM IST
  • पंजाब में लोकसभा चुनाव में किसकी होगी जीत.
  • आप को मिलेगी विधानसभा चुनाव जैसी सफलता.
पंजाब: 2024 के चुनाव में कैसी रहेगी आप-कांग्रेस की हालत, ऑर्डिनेंस के मुद्दे पर बढ़ेगी दरार?

चंडीगढ़. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि जैसे-जैसे राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और मुख्य विपक्ष (कांग्रेस) के बीच लड़ाई बढ़ती जा रही है, पंजाब में 2024 में आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी सामूहिक ताकत की उम्मीदें कम हो गई हैं. वे कहते हैं कि स्थिति दोनों कट्टर प्रतिद्वंद्वियों के लिए अस्थिर लगती है.

दिल्ली के ऑर्डिनेंस पर दरार
एक एक्सपर्ट के मुताबिक आप और कांग्रेस के बीच दिल्ली में नौकरशाहों पर नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश पर दरार और बढ़ गई है. चूंकि राज्य 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटों पर कब्जा करके राज्य में सात दशकों से अधिक समय तक शासन करने वाले पारंपरिक खिलाड़ियों को परास्त करने वाली आप की 15 महीने की सरकार ने सभी प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त बना ली है. अब भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार के सभी विपक्ष के साथ तीखे मतभेद हैं. ये विपक्षी पार्टियां हैं - कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद).

विपक्षी बैठक में उठा मुद्दा
2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा विरोधी मोर्चे के गठन का रोडमैप तैयार करने के लिए शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित मेगा विपक्षी बैठक में आप ने स्पष्ट कर दिया कि उसके लिए इसमें शामिल होना मुश्किल होगा. ऐसे किसी भी गठबंधन में जहां कांग्रेस है.

मुख्यमंत्री भगवंत मान कोई मौका न चूकते हुए अक्सर भाजपा और कांग्रेस पर आप सरकार को गिराने के लिए मिलकर काम करने का आरोप लगा रहे हैं. मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में मोदी की लोकप्रियता पर सवार भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी संभावनाओं पर जोर दे रही है, जबकि कांग्रेस को अभी भी अपनी छाया से फिर से उभरना बाकी है. कांग्रेस के लिए  एक तरफ सत्तारूढ़ आप है. दूसरी तरफ भाजपा जो अपने आधार को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर कांग्रेस छोड़ने वाले वर्गों, बड़े पैमाने पर जाट सिखों पर भरोसा कर रही है.

शिअद की स्थिति
इसके अलावा बीते साल 100 साल पूरे करने वाली शिरोमणि अकाली दल अपने नेताओं के पलायन के साथ इस समय संरचनात्मक, संगठनात्मक और यहां तक कि वैचारिक नेतृत्व के मामले में अपने सबसे खराब संकट का सामना कर रही है. 2015 के बेअदबी मामले के बाद नए कृषि कानूनों (अब निरस्त)  का शुरुआती समर्थन करना अकाली दल को भारी पड़ा है. अब अकाली पंथिका के एजेंडे पर वापस जा रही है जिससे ग्रामीण इलाकों में अपनी स्थिति मजबूत की जा सके. 

हाल ही में शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने पिछली गलतियों के लिए माफी मांगी और पार्टी छोड़ने वालों से वापस आने का अनुरोध किया है. उन्होंने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के दो सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा, अगर मैं कहीं भी गलती पर हूं तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं, लेकिन हम सभी को उन ताकतों को हराने के लिए एकजुट होना चाहिए जो पंथ को कमजोर करना चाहते हैं. बीबी जागीर कौर ने पिछले साल नवंबर में गुरुद्वारा निकाय के अध्यक्ष पद के लिए शिअद में प्रवेश किया था.

कांग्रेस ने निकले कई नेता
वहीं राज्य में 2017-22 तक शासन करने वाली कांग्रेस में भी नेताओं का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है. इसमें जिसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह, मनप्रीत बादल, गुरप्रीत कांगड़, राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी, राज कुमार वेरका और सुनील जाखड़ जैसे वफादार और अनुभवी विधायक शामिल थे. इन प्रमुख हिंदू चेहरों ने पुनरुत्थान के लिए संघर्ष कर रही पार्टी को अपनी हाल पर छोड़ दिया है. वहीं बीजेपी दो बार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में सिख बहुल राज्य में अपनी जड़ें मजबूत कर रही है

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