निर्भया की मां ही नहीं इन महिलाओं ने भी लड़ी है इंसाफ के लिए लंबी लड़ाई

निर्भया का मामला अपनी तरह का पहला और अनोखा मामला था, लेकिन अपराध के इतिहास में दो मामले और हैं, जिन्होंने सुर्खियां तो बटोरी ही, साथ ही पीड़ितों का न्याय पाने का संघर्ष खुद में एक कहानी बन गया. दास्तान, जिंदगी के उस क्रूर हिस्से की, जिसमें केवल दुख और पीड़ा था और जिसे सहते हुए भी इस लड़ाई को लड़ना था. जेसिका लाल हत्याकांड और नितीश कटारा हत्याकांड ऐसे ही मामले हैं, जिनमें परिवार ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया और गुनाहगारों को उनकी असली सजा दिलवाई. 

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : Mar 20, 2020, 03:49 PM IST
    • 29 अप्रैल 1999 को हुई थी जेसिका लाल की हत्या
    • फरवरी 2002 में मारा गया था बिजनेस मैन नीतिश कटारा
निर्भया की मां ही नहीं इन महिलाओं ने भी लड़ी है इंसाफ के लिए लंबी लड़ाई

नई दिल्लीः निर्भया के इंसाफ की जब भी बात होगी, उसमें उनकी मां आशा देवी का संघर्ष और वकील सीमा कुशवाहा की मेहनत हमेशा याद आएगी. एक मां, जिसने अपने बेटी को तिल-तिल तड़पते और मरते देखा था और एक वकील, जिसके करियर की शुरुआत का पहला केस था. शायद वह दोनों घबराई होंगी, डरी होंगी, हो सकता है, कदम भी लड़खड़ा गए होंगे, लेकिन अगर आज न्याय की जीत हुई है तो वजह एक है कि उनके इरादे पक्के थे.

चट्टान की तरह मजबूत. तभी तो आज सात साल बाद इस पीड़ित परिवार की आंख में संतोष है और चेहरे पर सुकून. बेटी तो केवल यादों में ही रहेगी, लेकिन अब सुकून के साथ.. 

हालांकि यह अपनी तरह का पहला और अनोखा मामला था, लेकिन अपराध के इतिहास में दो मामले और हैं, जिन्होंने सुर्खियां तो बटोरी ही, साथ ही पीड़ितों का न्याय पाने का संघर्ष खुद में एक कहानी बन गया. दास्तान, जिंदगी के उस क्रूर हिस्से की, जिसमें केवल दुख और पीड़ा था और जिसे सहते हुए भी इस लड़ाई को लड़ना था. जेसिका लाल हत्याकांड और नितीश कटारा हत्याकांड ऐसे ही मामले हैं, जिनमें परिवार ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया और गुनाहगारों को उनकी असली सजा दिलवाई. निर्भया के बहाने याद करते हैं दोनों ही केस की कहानी-

जेसिका लाल हत्याकांडः बहन ने अकेले लड़ी लड़ाई
29 अप्रैल 1999 की उस रात राजधानी दिल्ली लगभग नींद के आगोश में जा रही थी. रात के 11ः30 बजे राजधानी का टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट भी कुछ देर में बंद ही होने वाला था. इतने में एक युवक अपने दो-तीन दोस्तों के साथ बार में आया और शराब परोसने को कहा-लेकिन बार टेंडर ने शराब खत्म होने की बात कही. उसने फिर कहा-लेकिन उसे मना किया गया.

इस पर युवक ने गन निकाल ली और लेडी बार टेंडर पर तानते हुए फिर शराब मांगी, जवाब वही कि शराब खत्म हो गई. इसके बाद एक गोली छत को बेध गई और दूसरी उस लेडी के सिर में घुस गई. यानी 1999 के चौथ महीने के आखिरी रोज जेसिका लाल मार दी गई. 

फिर शुरू हुई मुश्किल राह
जेसिका ने जिस शराब परोसने की वजह से जान गंवाई थी,  उसका हत्यारा और कोई नहीं मनु शर्मा था, जो कि हरियाणा के कद्दावर कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा का बेटा था. लिहाजा जेसिका लाल मर्डर केस में इंसाफ की राहें मुश्किल हो गईं. सात साल तक चले मुकदमे के बाद फरवरी 2006 में सभी आरोपी बरी हो गए. इसके बाद जेसिका की बहन सबरीना सामने आईं, उन्होंने केस में नई जान फूंकी और लड़ाई लड़ी.

आरोपियों के बरी होने के बाद भी जेसिका का परिवार निराश नहीं हुआ. यह मामला मीडिया में उछला. उसके बाद तो जेसिका लाल मर्डर केस में इंसाफ के लिए दिल्ली क्या पूरा देश एक साथ आ गया. इस केस को दोबारा खोलना पड़ा. फास्टट्रैक कोर्ट में केस चला. उसके बाद जेसिका के हत्यारे मनु शर्मा को उम्र कैद की सजा सुनाई गई.

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सबरीना ने चिट्ठी लिखी थी, मैंने माफ कर दिया है
सजा पाने के बाद मनु शर्मा ने लंबे वक्त तक सजा काट ली है. बीच में उनकी रिहाई को लेकर बात हुई तो सबरीना लाल ने दिल्ली की तिहाड़ जेल के वेलफेयर ऑफिसर को एक चिट्ठी लिखकर बताया कि उन्हें मनु शर्मा की रिहाई में कोई आपत्ति नहीं है. मनु पिछले तिहाड़ में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहा है. सबरीना ने इस चिट्ठी के बारे में मीडिया को बताते हुए कहा था कि मैं ईसाई हूं और माफ करने में यकीन रखती हूं.

मेरी मां ने मनु को 1999 में ही माफ कर दिया होता अगर उसने खुद माफी मांगी होती. मैंने अपनी बहन और मां-बाप को खो दिया है. हमारी ज़िंदगी में एक वक्त वो भी आता है, जब हमें कुछ चीज़ों को पीछे छोड़ देना होता है. मैं विक्टिम वेलफेयर बोर्ड की ओर से मिलने वाले पैसे भी नहीं लेना चाहती. इन्हें किसी ज़रूरतमंद को दे देना चाहिए.

नीतीश कटारा हत्याकांडः मां ने लिया बेटे की मौत का इंसाफ
बाहुबली नेता की बेटी से प्रेम और फिर उसके भाइयों के हाथों जान गंवाने वाले नितीश कटारा की कहानी अलग नहीं है. बल्कि यह कहानी उनकी मां नीलम कटारा की अधिक है. 20 फरवरी 2002 को बुलंदशहर की खुर्जा तहसील के पास एक अधजली लाश बरामद हुई. छानबीन शुरू हुई तो नीलम कटारा ने शव की पहचान अपने बेटे के तौर पर की.

इसके बाद पुलिस को करनाल के पास एक गाड़ी मिली. अब जांच नितीश के जान-पहचान और आखिरी रात तक पहुंची तो इसके तार भारती यादव से जाकर उलझ गए.

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फिर हुआ रसूख वाले परिवार से आमना-सामना
भारती यादव के दो परिचय हैं. पहला तो वह यूपी के बाहुबली नेता डीपी यादव की बेटी थी और दूसरी नितीश की क्लासमेट जहां दोनों एक-दूसरे से प्रेम करने लगे. यह भारतीय के भाइयों को रास नहीं आया और 16-17 फरवरी की रात उन्होंने दोनों को गाजियाबाद में एक शादी समारोह में साथ-साथ देख लिया. इसके बाद नितीश का अपहरण हो गया और 20 फरवरी को लाश मिली.

25 साल का नितीश पेशे से बिजनेस मैन था. इसके बाद मां नीलम कटारा ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी.

हाईकोर्ट ने कहा- झूठी शान के लिए हत्या
हाईकोर्ट ने इस मामलो के झूठी शान के लिए हत्या कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 2016 में फैसला सुनाया था. जिसके तहत भारती के भाइयों विकास व विशाल यादव को 25-25 साल और पांच-पांच साल अलग सजा सुनाई गई. यानी इन्हें बिना छूट के तीस साल की सजा काटनी थी. वहीं इनके सहयोगी सुखदेव पहलवान को भी 20 साल की सजा सुनाई गई थी. 

 

 

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