नई दिल्ली: 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाला विकास दुबे अपनी काली कमाई से एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर चुका था. अवैध कब्ज़े वाली जमीनों से विकास देखते ही देखते करोड़ों का मालिक बन गया. अपने रसूख, गुंडागर्दी और गुर्गों के दम पर विकास अब वहां पहुंच चुका था, जिसके बारे में किसी को अंदाजा तक नहीं था.
विकास दुबे की कुल संपत्ति 200 करोड़ से ज्यादा
विकास दुबे ने रंगदारी, जमीनों पर अवैध कब्जा, प्रोटेक्शन मनी और हाइवे पर चलने वाले ट्रकों का माल लूटकर करोड़ों की संपत्ति बना ली. एक जानकारी के मुताबिक विकास की कुल संपत्ति 200 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की थी. अपने इन्हीं अपराधों की वजह से वो यूपी का सबसे बड़ा हिस्ट्रीशीटर बन गया.
अपराध की दुनिया में विकास दुबे जितनी तेजी से आगे बढ़ा, उतनी ही तेजी से उसका बैंक बैलेंस भी बढ़ता गया और देखते ही देखते उसने अपना एक बड़ा आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर लिया. अगर एक अंदाजा लगाया जाए तो विकास और उसके परिवार के नाम करीब 250 बीघा जमीन है.
विकास के बिकरू गांव में बना घर 52000 स्कवेयर फीट में फैला है, जो इस बात की गवाही देता था कि वो किस तरह आलीशान घर में रहा करता था.
ऐशो-आराम का शौकीन था अपराधी विकास दुबे
जेसीबी मशीन से ढहाया गया, बंकरनुमा घर भी विकास दुबे का है. जिसका निर्माण विकास ने कुछ इस तरह से करवाया था, जिससे पता चलता है कि वो ऐशो आराम और महंगी चीजों का कितना बड़ा शौकीन था. हालांकि पुलिस की कार्रवाई के बाद घर और वहां रखी आलीशान गाड़ियां कबाड़ में तब्दील हो गई.
विकास दुबे कैसे बना करोड़पति? जानिए
विकास दुबे ने ये सारी संपत्तियां और जमीन अवैध रूप से या तो हथियाई है या अपनी धौंस दिखाकर कब्जा किया है. विकास दुबे के रियल एस्टेट से जुड़े कई बिज़ेनेस थे और गांवों में उनके परिवार के नाम ढेरो संपत्तियां भी थी. विकास उद्योगपतियों से प्रोटेक्शन मनी के नाम पर लाखों रुपए की वसूली करता था.
महीने की 1 से 3 तारीख के बीच गुर्गे करते थे वसूली
पुलिस की जांच में सामने आया है कि अपने मिलने वालों को ठेकेदारी दिलाकर और सम्पत्तियों को खाली कराने के नाम पर भी वह मोटी रकम कमाता था. खुद प्रॉपर्टी डीलिंग करता था. चौबेपुर और दादा नगर की कुछ फैक्टरी मालिकों से विकास के गुर्गे महीने की 1 से 3 तारीख के बीच वसूली करके पैसा उस तक पहुंचा देते थे.
सूत्रों के मुताबिक विकास ने अपनी पत्नी और अपने भाई के नाम ढेरो जमीनें खरीद रखी थी. बिकरू, दिलीपनगर, काशीराम, निवादा में भी उसके और रिश्तेदारों के नाम पर कई प्लाट और खेत हैं. विकास और उसके भाई का लखनऊ के इंदिरानगर में भी मकान हैं. इन मकानों की कीमत भी करीब पांच से सात करोड़ रुपये बताई जा रही है.
विकास ने कैसे बनाया आर्थिक साम्राज्य
विकास दुबे का खौफ ऐसा था कि कानपुर के आसपास की लगभग हर फैक्ट्री से उसे चढ़ावा भेजा जाता था. जीटी रोड के किनारे बसे चौबेपुर इंडस्ट्रियल एरिया में करीब 400 फैक्ट्रियां हैं. नामी फैक्ट्रियों से उसे सालाना चंदा मिलता था.
विकास दुबे कानपुर के कई बस स्टैंड और बस मालिकों से रंगदारी वसूलकर अपनी तिजोरी भरता आया. विकास की काली कमाई का एक जरिया टेंडर और लोगों को ठेका दिलाने के कामों से भी होता था. अपराधी विकास के ज्यादातर सरकारी विभागों में अपने खास लोग थे, जिनकी मदद से वो कई लोगों को ठेकेदारी दिलाता था. इसमें जितने का काम होता था, उसका 40 प्रतिशत दुबे के पास पहले ही पहुंचा दिया जाता था.
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विकास महंगी गाड़ियों का भी शौकीन था. बिकरू गांव में उसके घर में दो ऐसी गाड़ियां खड़ी भी थी. पुलिस विकास और उसके करीबियों के बैंक खातों की भी पड़ताल कर रही है. पुलिस की कार्रवाई के तहत विकास दुबे के सभी खाते फ्रीज कराये जाएंगे.
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