वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ तब देश में 500 से ज्यादा रियासतें थीं. इन्हें अस्थायी तौर पर A, B, C और D नाम देकर 4 हिस्सों में बांटा गया था.
वहीं, भारत के सभी राज्यों के गठन के लिए 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की गई थी. इसमें फजल अली, एच. एन. कुंजरू और के एम पानीकर रहे.
भाषायी आधार पर राज्यों का गठन करने की मांग हो रही थी. लोग तर्क कर रहे थे कि एक भाषा बोलने वालों को एक ही जगह पर रखा जाए, ताकि प्रशासन चलाना भी आसान हो.
राज्य पुनर्गठन आयोग ने 1956 में अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें 16 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेश बनाने की सिफारिश की हुई.
केंद्र सरकार ने 16 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाए. वहीं, आयोग से साफ किया कि भाषा या संस्कृति के एकल परीक्षण के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करना संभव नहीं है.
हालांकि, बाद में राज्यों के गठन में भाषायी आधार को भी मान्यता दी गई.
ऐसा इसलिए भी किया गया ताकि लोकल भाषाओं का विकास करने के साथ ही बेहतर शासन भी हो सके.
इससे पहले ब्रिटिश शासन ने इन सभी चीजों को नजरअंदाज किया था.
इसके बाद 1 नवंबर, 1956 को भाषा के आधार पर भारत के पहले राज्य आंध्र प्रदेश का गठन किया गया.