किसी को न पाने से जिंदगी खत्म नहीं होती... गुलजार की कमाल की शायरी पढ़ें

किसी को न पाने से जिंदगी खत्म नहीं होती, लेकिन किसी को पाकर खो देने से कुछ बाकी भी नहीं रहता

समेट लो इन नाजुक पलों को, ना जाने ये लम्हे हो ना हो, हो भी ये लम्हे क्या मालूम, शामिल उन पलों में हम हो ना हो

आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई, जैसे एहसान उतारता है कोई

आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं, हवा चले न चले दिन पलटते रहते है

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था, आज की दास्तां हमारी है

वो उम्र कम कर रहा था मेरी, मैं साल अपने बढ़ा रहा था