दुनिया के हर शहर में कहीं न कहीं चौराहे, घंटाघर या गिरजाघर पर बड़ी सी घड़ी जरूर लगी होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक शहर की घड़ी में कभी 12 नहीं बजता? सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी, और जब आप उस शहर का नाम जानेंगे तो और भी हैरान हो जाएंगे.
हम सभी समय देखने के लिए घड़ी का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें 1 से 12 तक के अंक होते हैं, या फिर कुछ घड़ियों में 24 घंटे का सिस्टम होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा शहर है, जहां की घड़ियों में 12 अंक ही नहीं होते? यहां कभी भी 12 नहीं बजते. क्या आपको उस शहर का नाम पता है?
दुनिया के कई शहरों में चौराहों, घंटाघरों या गिरजाघरों पर बड़ी-बड़ी घड़ियां लगी होती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा शहर भी है, जिसकी घड़ी में कभी 12 नहीं बजता? सुनकर आप हैरान हो गए होंगे, लेकिन जब आप उस शहर का नाम नहीं जानते हैं.
सोलोधर्न शहर की घड़ियों में कभी 12 नहीं बजता. यह शहर स्विट्जरलैंड में स्थित है. सोलोथर्न के लोग 11 नंबर को बहुत लकी मानते हैं और इस नंबर के प्रति उनकी दीवानगी इतनी है कि उन्होंने अपनी घड़ियों में 12 अंक को शामिल ही नहीं किया है.
सोलोथर्न की घड़ियों में केवल 1 से 11 तक के ही अंक होते हैं. यहां के चर्च, चैपल्स और टाउन स्क्वेयर पर लगी घड़ियों में भी 12 नहीं बजता. इस शहर में 11 नंबर का महत्व हर जगह देखा जा सकता है. यहां के मुख्य चर्च सेंट उर्सूस में 11 दरवाजे और 11 खिड़कियां हैं, और इसे बनाने में 11 साल लगे थे.
इस शहर के लोग 11 नंबर को इतना पसंद करते हैं कि वे अपने जन्मदिन भी 11 तारीख को ही मनाते हैं और तोहफे भी 11 से जुड़े होते हैं. इस नंबर के प्रति उनका लगाव सदियों पुराना है और इसके पीछे एक लोककथा है. कहा जाता है कि सोलोथर्न के लोग बहुत मेहनत करते थे, लेकिन खुश नहीं थे. फिर एक दिन पहाड़ियों से एक एल्फ आया, जिसने उनकी मदद की और खुशियां लौटाईं. जर्मन भाषा में एल्फ का मतलब 11 होता है, इसलिए उन्होंने 11 नंबर को लकी मानना शुरू कर दिया.
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