Why Are Women Refusing To Get Married: शादी के बाद जीवन पूरी तरह से बदल जाता है. जिसके लिए आज की लड़कियां बिल्कुल भी तैयार नहीं है. अब उनके लिए घर बसाने से ज्यादा अकेले खुश रहना भा रहा है.
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एक समय था जब एक लड़की शादी का सपना देखते बड़ी होती थी. बचपन से ही घर में ससुराल जाने और किसी की बीवी और बहू बनने की ही ट्रेनिंग दी जाती थी. लेकिन अब वक्त बदल गया है. अब कई सारी लड़कियों के लिए शादी टू डु की लिस्ट में ही शामिल नहीं है. वहीं, कई लड़कियों के लिए शादी प्रायॉरिटी लिस्ट में सबसे आखिरी में है.
लेकिन सवाल यह है कि आखिर समय के साथ ऐसा क्या बदल गया जिसने शादी को लेकर लड़कियों की सोच को इस हद तक बदल दिया है? यदि आपके पास इसका जवाब नहीं है तो चलिए हम आपको ऐसे 5 कारण बताते हैं जिससे लड़कियां शादी से दूर भागने लगी हैं-
शादी नहीं करने की वजह-
- आज की महिलाएं पहले से कहीं अधिक शिक्षित और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं. वे अपने करियर में सफल हो रही हैं और अपना खर्च खुद उठा रही हैं. जिसके कारण उन्हें यह समझ में आ चुका है कि एक जिंदगी के लिए उन्हें किसी पुरुष की जरूरत नहीं है. वह अपनी शर्तों पर अपनी जिंदगी बिना किसी रोक-टोक के जी सकती है.
- विवाह के बाद एक महिला की पहचान उसके पति और बच्चों के साथ जुड़ जाती है. लेकिन अब महिलाएं अपनी खुद की पहचान बनाना चाहती हैं और अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं. शादी को लेकर यह डर रहता है कि कहीं उनका व्यक्तिगत विकास रुक ना जाए या फिर समाज में उनकी पहचान सिर्फ एक पत्नी या माँ के रूप में ही सिमट कर ना रह जाए.
- पहले जहां अकेली महिला या देर से शादी करना एक सामाजिक बुराई मानी जाती थी, वहीं अब समाज के विचार बदल रहे हैं. अब लोगों को यह एहसास हो रहा है कि शादी किसी के जीवन का लक्ष्य नहीं है, बल्कि खुशहाल जीवन जीने के लिए कई रास्ते हो सकते हैं.
- कई महिलाओं को यह चिंता रहती है कि शादी के बाद घरेलू कामों का बोझ बढ़ने से उन्हें अपने करियर या शौक का बलिदान देना पड़ सकता है. साथ ही, घरेलू हिंसा और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयां भी शादी को लेकर उनके मन में असुरक्षा का भाव पैदा करती हैं.
- अब यह माना जाने लगा है कि प्यार और जीवन भर साथ रहने की प्रतिबद्धता के लिए शादी की कोई बाध्यता नहीं है. कई कपल लिव-इन रिलेशनशिप में रहकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं. ऐसे रिश्तों में उन्हें स्वतंत्रता के साथ-साथ जिम्मेदारी का बोध भी रहता है.