Arshdeep Singh Gill Dalla: भारत और कनाडा के रिश्ते हर गुजरते दिन के साथ कमजोर होते जा रहे हैं. हाल ही में कनाडा ने एक ऐसे खतरनाक आतंकी को जमानत दे दी है, जिसके प्रत्यर्पण के लिए भारत हर मुमकिन कोशिश कर रहा है.
Trending Photos
Arshdeep Singh Gill Dalla: कनाडा बार-बार अपना खालिस्तानी हिमायती रुख दिखा ही देता है. हाल ही में कनाडा की एक अदालत ने प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स के आतंकवादी अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श दल्ला को जमानत दे दी है. हैरानी की बात है कि कनाडा ने यह कदम तब उठाया है जब भारत की तरफ से उसके प्रत्यर्पण के लिए किए जा रही कोशिशें की जा रही हैं. कनाडा की अदालत ने डल्ला को 30,000 डॉलर का जमानती बांड भरने की शर्त पर जमानत दी गई है. उसके मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी, 2025 को होनी है.
अज्ञात शूटरों के हमले में घायल होने के बाद अक्टूबर में डल्ला को कनाडा के हाल्टन में गिरफ्तार किया गया था. तब से भारत उसे कनाडा से भारत को सौंपने की मांग कर रहा है. सूत्रों ने बताया कि भारतीय अधिकारियों के असहयोग के बावजूद खालिस्तानी आतंकवादी को जमानत दे दी गई. उन्होंने कहा कि जमानत आदेश के बावजूद भारत कनाडाई अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई जारी रखेगा.
मंत्रालय ने डल्ला को अपराधी घोषित कर दिया है, जिस पर हत्या, हत्या की कोशिश, जबरन वसूली और आतंकी गतिविधियों के 50 से ज्यादा मामलों में नाम दर्ज है. उसे पिछले साल जनवरी में 'आतंकवादी' करार दिया गया था और वह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की तरफ से दर्ज कई मामलों में भी आरोपी है. सूत्रों के मुताबिक खालिस्तानी आतंकवादी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सीधे संपर्क में रहा है.
अर्शदीप डल्ला का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले में हुआ था और वह मोगा के डाला गांव में रहता था. साल 2018 में उसने भारत से कनाडा की तरफ रुख किया था. पिछले दिनों कत्ल किए गए एक और खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के सबसे करीबियों में डल्ला को माना जाता है. भारत का यह भी मानना है कि जून 2023 में हरदीप निज्जर की गोली मारकर हत्या के बाद उसने खालिस्तानी आतंकी संगठन की बागडोर संभाल ली है.
मई 2022 में उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था. जिसमें कहा गया,'उसे 2023 में भारत में एक व्यक्तिगत आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था. जुलाई 2023 में भारत ने कनाडा सरकार से उसकी प्रोविजनल गिरफ्तारी की अपील की थी. हालांकि इसे कबूल नहीं किया गया था.'