Shailjakant Mishra
Feb 26, 2025

इन ठिठुरती उँगलियों को

इन ठिठुरती उँगलियों को इस लपट पर सेंक लो धूप अब घर की किसी दीवार पर होगी नहीं

उड़ कर भी कहाँ पहुँचेंगे

ऐसा लगता है कि उड़ कर भी कहाँ पहुँचेंगे हाथ में जब कोई टूटा हुआ पर होता है

ला लो यारो

लोग हाथों में लिए बैठे हैं अपने पिंजरे आज सय्याद को महफ़िल में बुला लो यारो

खिलोने न मिले हों

जैसे किसी बच्चे को खिलौने न मिले हों फिरता हूँ कई यादों को सीने से लगाए

चोट का गहरा निशान है

वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है माथे पे उस के चोट का गहरा निशान है

बहुत क़रीब न आओ

बहुत क़रीब न आओ यक़ीं नहीं होगा ये आरज़ू भी अगर कामयाब हो जाए

ख़ास सड़कें बंद हैं

ख़ास सड़कें बंद हैं तब से मरम्मत के लिए ये हमारे वक़्त की सब से सही पहचान है

एक पत्थर तो तबीअ'त से उछालो यारों

कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीअ'त से उछालो यारों

तमाशा देख कर हैरान है

एक गुड़िया की कई कठ-पुतलियों में जान है आज शाइ'र ये तमाशा देख कर हैरान है

एक ठहरा हुआ खंडर देखा

आज वीरान अपना घर देखा, तो कई बार झाँक कर देखा पाँव टूटे हुए नज़र आए, एक ठहरा हुआ खंडर देखा

रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया

रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारों

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