इन ठिठुरती उँगलियों को इस लपट पर सेंक लो धूप अब घर की किसी दीवार पर होगी नहीं
ऐसा लगता है कि उड़ कर भी कहाँ पहुँचेंगे हाथ में जब कोई टूटा हुआ पर होता है
लोग हाथों में लिए बैठे हैं अपने पिंजरे आज सय्याद को महफ़िल में बुला लो यारो
जैसे किसी बच्चे को खिलौने न मिले हों फिरता हूँ कई यादों को सीने से लगाए
वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है माथे पे उस के चोट का गहरा निशान है
बहुत क़रीब न आओ यक़ीं नहीं होगा ये आरज़ू भी अगर कामयाब हो जाए
ख़ास सड़कें बंद हैं तब से मरम्मत के लिए ये हमारे वक़्त की सब से सही पहचान है
कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीअ'त से उछालो यारों
एक गुड़िया की कई कठ-पुतलियों में जान है आज शाइ'र ये तमाशा देख कर हैरान है
आज वीरान अपना घर देखा, तो कई बार झाँक कर देखा पाँव टूटे हुए नज़र आए, एक ठहरा हुआ खंडर देखा
रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारों