संन्यासी जैसे रहिए, घोड़े की तरह काम कीजिए... जजों को सुप्रीम कोर्ट की 5 नसीहतें
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संन्यासी जैसे रहिए, घोड़े की तरह काम कीजिए... जजों को सुप्रीम कोर्ट की 5 नसीहतें

Supreme Court Latest News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जजों से कहा कि 'आपको एक संन्यासी की तरह रहना होगा और घोड़े की तरह काम करना होगा.' SC ने जजों को सोशल मीडिया से दूर रहने की भी हिदायत दी.

संन्यासी जैसे रहिए, घोड़े की तरह काम कीजिए... जजों को सुप्रीम कोर्ट की 5 नसीहतें

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के जजों को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बचना चाहिए. SC ने गुरुवार को एक मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि जजों को किसी संन्यासी-संत जैसा जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों को अदालतों के फैसलों पर राय जाहिर करने से बचना चाहिए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए की.

  1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका में दिखावेपन के लिए कोई स्थान नहीं है. बेंच ने कहा, 'न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक पर नहीं जाना चाहिए. उन्हें फैसलों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए क्योंकि कल अगर फैसले का हवाला दिया जाता है तो जज पहले ही किसी न किसी तरह से अपनी बात कह चुके होंगे.'
  2. SC ने आगे कहा, 'यह एक खुला मंच है. आपको एक संन्यासी की तरह रहना होगा और घोड़े की तरह काम करना होगा. न्यायिक अधिकारियों को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. उन्हें फेसबुक का बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए.'
  3. बर्खास्त महिला जजों में से एक की ओर से सीनियर एडवोकेट आर. बसंत ने अदालत के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या जज को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए.
  4. यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जो न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बारे में पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई. अग्रवाल ने SC को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी.
  5. मामला क्या है: सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर, 2023 को कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल जजों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था. हालांकि, मध्य प्रदेश HC की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों- ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया. SC उन जजों के मामलों पर विचार कर रहा था, जो क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे. (भाषा इनपुट्स)

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