Ajab Gajab: छत्तीसगढ़ की घोटुल प्रथा है अजब, नाम बदलकर साथ रहने के लिए मिलते हैं 7 दिन, खुद चुन सकते हैं शादी के लिए पार्टनर

Zee News Desk
Feb 24, 2025

परंपरा और सभ्यताएं

छत्तीसगढ़ अपने पुराने परंपरा और सभ्यताओं को निभाने के लिए जाना जाता है.

विचित्र परंपराएं

छत्तीसगढ़ की कुछ परंपराएं इतनी विचित्र होती हैं कि इन्हें यकीन कर पाना नामुमकिन होता है.

घोटुल परंपरा

दरअसल, छत्तीसगढ़ के बस्तर के मुरिया और माड़िया जनजाति के आदिवासी घोटुल नाम की प्रथा को फॉलो करते हैं.

घोटुल किसे कहते हैं

घोटुल उस स्थान को कहा जाता है, जहां आदिवासी उत्सव मनाते हैं. घोटुल को गांव के किनारे बनाया जाता है. ये मिट्टी की झोपड़ी होती है.

माड़िया जनजाति के आदिवासी में प्रसिद्ध

इस प्रथा के अनुसार, आदिवासी समुदाय की युवक-युवतियां को, बुजुर्ग व्यक्ति की देख-रेख में, आपस में मिलने-जुलने, जानने-समझने का अवसर दिया जाता है.

सरल शब्दों में कहा जाए तो आदिवासी समुदाय के लड़के-लड़कियां रात में बसेरा करते हैं.

बदलना होता है नाम

बताया जाता है कि घोटुल में शामिल हुए लड़के-लड़कियों को अपना नाम बदलकर रहना पड़ता है.

जीवनसाथी चुनने का दिया जाता है वक्त

इस बीच लड़के-लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने के लिए 7 दिन का वक्त दिया जाता है.

कंघी चुराने का परंपरा

घोटुल परंपरा में कंघी चुराने की भी परंपार प्रसिद्ध है.

कंघी चुराने का अर्थ

लड़की द्वारा कंघी चुराने का मतलब होता है कि वो जिस लड़के के द्वारा बनाई कंघी चुराती है उससे शादी करने के तैयार रहती है.

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